भाजपा, कांग्रेस और बसपा उपचुनाव की तैयारियों में व्यस्त हैं। आगामी उपचुनाव में समाजवादी पार्टी की रणनीति क्या होगी? सपा कार्यकर्ताओं को अभी पार्टी आलाकमान के दिशा-निर्देशों का इंतजार है। हालांकि, लंबे अंतराल के बाद अखिलेश यादव मंगलवार को लखनऊ वापस लौट आये। माना जा रहा कि एक-दो दिन वह पार्टी कार्यालय में बैठेंगे। कार्यकर्ताओं से मिलकर विधानसभा उपचुनाव की तैयारियों में जुट जाएंगे।
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अखिलेश यादव की गैरमौजूदगी में समाजवादी पार्टी के ट्विटर हैंडल ने मोर्चा संभाल रखा है। यहां अखिलेश यादव के हवाले से कई खबरें ट्वीट की जाती रही हैं। अखबारों की कटिंग और पार्टी के कार्यक्रमों भी जानकारी तस्वीर सहित ट्विटर हैंडल पर शेयर की जाती रही है।
अखिलेश यादव की गैरमौजूदगी में समाजवादी पार्टी के ट्विटर हैंडल ने मोर्चा संभाल रखा है। यहां अखिलेश यादव के हवाले से कई खबरें ट्वीट की जाती रही हैं। अखबारों की कटिंग और पार्टी के कार्यक्रमों भी जानकारी तस्वीर सहित ट्विटर हैंडल पर शेयर की जाती रही है।
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राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो अखिलेश यादव को लोकसभा चुनाव में हार से इतना सदमा नहीं लगा, जितना कि मायावती के आरोपों से। पिता और परिवार की मर्जी के खिलाफ जाकर उन्होंने बसपा से गठबंधन किया था, लेकिन चुनाव परिणाम के बाद मायावती ने अलग उपचुनाव लड़ने का एलान कर सियासी गलियारों में हड़कम्प मचा दिया।
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो अखिलेश यादव को लोकसभा चुनाव में हार से इतना सदमा नहीं लगा, जितना कि मायावती के आरोपों से। पिता और परिवार की मर्जी के खिलाफ जाकर उन्होंने बसपा से गठबंधन किया था, लेकिन चुनाव परिणाम के बाद मायावती ने अलग उपचुनाव लड़ने का एलान कर सियासी गलियारों में हड़कम्प मचा दिया।
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2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा और रालोद मिलकर चुनाव लड़ा। यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से 37 सीटों पर सपा, 38 सीटों पर बसपा और तीन सीटों पर रालोद ने चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में सपा को 2014 के बराबर ही पांच सीटें मिलीं, लेकिन पिछले आम चुनाव में शून्य पर सिमटी बसपा को इस बार 10 सीटों का फायदा हुआ। हालांकि, रालोद एक बार फिर खाता खोलने में नाकाम रही।
2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा और रालोद मिलकर चुनाव लड़ा। यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से 37 सीटों पर सपा, 38 सीटों पर बसपा और तीन सीटों पर रालोद ने चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में सपा को 2014 के बराबर ही पांच सीटें मिलीं, लेकिन पिछले आम चुनाव में शून्य पर सिमटी बसपा को इस बार 10 सीटों का फायदा हुआ। हालांकि, रालोद एक बार फिर खाता खोलने में नाकाम रही।