समर सिंह की जमानत के लिए अधिवक्ता आशीष सिंह, प्रवीण श्रीवास्तव, राणा यादव, अनूप सिंह ने अर्जी दाखिल की। अर्जी में कहा गया है कि आरोपी को सिर्फ परेशान व बेइज्जत करने की नियत से साजिश के तहत फंसाया गया है। वह बिल्कुल निर्दोष है और उसे उक्त घटना के बारे में कोई जानकारी नहीं है। आरोपित के खिलाफ कोई केस नहीं बनता है। कोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज कर दी।
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मोबाइल की बरामदगी के लिए मांगी कस्टडी रिमांडरिमांड मजिस्ट्रेट कीर्ति सिंह की कोर्ट में कस्टडी रिमांड की अर्जी पेश करते हुए विवेचक अजय यादव ने कहा कि गाजियाबाद में समर सिंह की गिरफ्तारी के समय उसका मोबाइल बरामद नहीं हुआ है। मोबाइल को समर ने कहीं छिपा रखा है। उसे वह बरामद करा सकता है। केस की विवेचना में मोबाइल की बरामदगी अति आवश्यक है।
कमिश्नरेट पुलिस समर को लेकर शनिवार सुबह 10 बजे गाजियाबाद से वाराणसी लेकर पहुंची। उसे गाजियाबाद के राजनगर एक्सटेंशन स्थित चार्म्स कैसल सोसाइटी के फ्लैट से गिरफ्तार किया था। वाराणसी पुलिस ने शुक्रवार को समर सिंह को गाजियाबाद कोर्ट में पेश किया था।
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कोर्ट ने 24 घंटे का ट्रांजिट रिमांड दिया। अवकाश होने के कारण आरोपित को कड़ी सुरक्षा के बीच शाम करीब साढ़े पांच बजे रिमांड मजिस्ट्रेट कीर्ति सिंह की कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट में अभियोजन की ओर से एपीओ नागेंद्र कुमार मिश्र और विजय पांडेय ने पक्ष रखा।किसी महिला या पुरुष की मौत पर कई बार पोस्टमार्टम करने के बाद भी मौत के सही कारणों का पता नहीं चलता है। ऐसी स्थिति में बिसरा जांच से ही मौत के सही कारणों का पता लगाया जाता है। बिसरा सैंपल की केमिकल जांच के दौरान असली कारण सामने आते हैं।
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बिसरा जांच के लिए पोस्टमार्टम के दौरान लिए गए सैंपल की जांच 15 दिन के भीतर करनी जरूरी है। इसमें मरने वाले के खून, वीर्य आदि की भी जांच की जाती है। बिसरा जांच का तरीका जानते हैं आप?विसरा फॉरेंसिक जांच का हिस्सा है। अमूमन फॉरेंसिक साइंटिस्ट विसरा जांच करते हैं। इसके लिए पोस्टमार्टम के दौरान शरीर के भीतरी अंगों की जांच कर लेने के बाद उनका सैंपल सुरक्षित रखा जाता है। सूंघने, पीने या फिर खाने के जरिये किसी भी तरह का केमिकल शरीर के अंदर जाने पर इंसान की छाती, पेट वगैरह अंगों पर असर जरूर होता है।
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बिसरा जांच को कानूनी तौर पर मिलती है मान्यताफॉरेंसिक साइंस एक्सपर्ट विसरा जांच के बाद जो रिपोर्ट तैयार करते हैं, उसे कानूनी तौर पर मान्यता हासिल है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में संदिग्ध मौत के मामलों में शव की विसरा जांच कराना अनिवार्य कर चुकी है।