अजीत सिंह पर लटका रालोद, जदयू विलय
जद (यू) और रालोद व झारखंड विकास मोर्चा के विलय को लेकर तीन महीने से पार्टियों में चल रही उठा-पठक फिलहाल धीमी हो गई है।
लखनऊ. जद (यू) और रालोद व झारखंड विकास मोर्चा के विलय को लेकर तीन महीने से पार्टियों में चल रही उठा-पठक फिलहाल धीमी हो गई है। यह कह सकते है कि विलय के प्रस्ताव में गतिरोध पैदा हो गया है। इस गतिरोध की वजह, रालोद मुखिया चौधरी अजीत सिंह है। रालोद मुखिया पदों के बटवारे को लेकर अभी भी दुविधा में पड़े हुए है, वे चाहते हैं की विलय से पहले पदों के बटवारें समेत सभी मुद्दों पर स्थिति एकदम साफ रहे। आप की जानकारी के लिए बता दें की जद (यू) व रालोद काग्रेस के साथ मिल के यूपी का चुनाव लड़ने का विचार कर रही है। अभी तक जद (यू) व रालोद के एक होने की खबरें तेज हो गई थी, लेकिन अभी तक इन संगठनों का विलय नहीं हो पाया है जिसकी वजह अजीत सिंह बताए जा रहे हैं।
गठबंधन हुआ तो नए संगठन के नितीश होंगे अध्यक्ष
आप की जानकारी के लिए बता दे की रालोद, जद (यू) और झारखण्ड विकास मोर्चा का विलय करके नई पार्टी गठित करने पर ये पार्टिया विचार कर रही हैं। साथ ही यदि इन पार्टियों का विलय होता है तो इस नई पार्टी का अध्यक्ष बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री नितीश कुमार होंगे और संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष चौधरी अजीत सिंह रहेंगे। वही इस नये दल की यू.पी. की कमान चौधरी अजीत के कंधो पर दी जाएगी| साथ-साथ पूर्वांचल के कई क्षेत्रो के अलावा मथुरा, मेरठ व लखीमपुर खीरी में रैलियों का भी शेड्यूल तैयार कर लिया गया है|
ये है गटबंधन में देरी की वजह
राजनीतिक गलियारों में चौधरी अजीत सिंह की दुविधा को विलय में देरी की वजह माना जा रहा है। वह कुछ मुद्दों को लेकर विलय से पहले स्थिति साफ करना चाहते है, ताकि भविष्य में विवाद की स्थिति पैदा न हो। यह माना जा रहा है कि तीन पार्टियों के विलय से बनने वाला नया दल कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरेगा।
प्रियंका होंगी यू.पी की मुख्यामंत्री दावेदार
नये दल के बनने के बाद यूपी में मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी कांग्रेस की प्रियंका गाँधी को चुना जायेगा। हालाँकि इस मुद्दे पर स्थिति साफ नही है। अजीत सिंह चाहते है कि कांग्रेस से मिलकर स्थिति स्पष्ट कर ली जाय| इससे नये दल के गठन के बाद रालोद मुखिया बिहार से राज्य सभा सीट के भी दावेदार है| बताया जा रहा है कि इस मुद्दे पर अभी तक कुछ तय नही हो पाया है|
कंही भाजपा ने तो नई लड़ाई टंग
पश्चिमी उत्तर–प्रदेश में एक चर्चा यह भी है कि रालोद और जदयू के विलय में भाजपा ने टांग अडाई है| पश्चिमी यू.पी. में भाजपा के कई नेता जाट वोटो के लिए अजीत सिंह के साथ दोस्ती के पक्षधर है| यह स्पष्ट नही हैं, लेकिन कहा जा रहा है की भाजपा ने अजीत के प्रति नर्म रुख अख्तियार करते हुए दोस्ती का सन्देश भेज दिया है| विलय के टाले जाने का यही मुख्य कारण बताया जा रहा है|
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