उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में औद्योगिक विकास ठप है। इन्वेस्टर्स समिट के नाम पर जनता के सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया। एक भी उद्योग धरातल पर आकार नहीं ले पाया। बीते वर्ष कोरोना संक्रमण काल में सरकार की घोषणाएं कागजी साबित हुईं। कोरोना के नाम पर आम जनमानस के साथ दुर्व्यवहार होता रहा, वहीं सरकार अस्पतालों में व्यवस्था के नाम पर गुणवत्ताहीन पीपीई किट खरीदकर कर भ्रष्टाचार करती रही है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि तीनों काले कृषि कानूनों के विरोध में लामबंद किसानों का उत्तर प्रदेश में उत्पीड़न यहां तक किया गया कि आंदोलन में शामिल होने की कीमत पर उन्हें देशद्रोह के मुकदमों में फर्जी तरीके से फंसाया और भारी जुर्माने का नोटिस थमाया गया। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की बात करती अवश्य है किन्तु सच्चाई यह है कि वह उसके पेट की रोटी भी छीनकर चंद उद्योगपति मित्रों के हवाले करने में हिचक नहीं दिखा रही है।