लाखों खर्च के बाद भी नहीं हुआ सुधार
गोविंद अपने पिता को आशियाना स्थित क्रिटी केयर अस्पताल में ले गए। वहां भर्ती कर इलाज में करीब ढाई लाख खर्च हो गए फिर भी सुधार नहीं हो सका। यहां से डॉक्टरों ने बड़े अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। गोविंद गुरुवार को केजीएमयू पहुंचे तो बेड नहीं मिला। उन्हें एक दलाल मिल गया, जिसने झांसा देकर चौक के एक निजी अस्पताल में नरेश को भर्ती करवा दिया। गोविंद ने आरोप लगाया कि अस्पताल के संचालक ने आश्वासन दिया था कि तीन दिन में मरीज स्वस्थ हो जाएगा।
‘डॉक्टर से फोन पर बात कर कर्मचारी कर रहे थे इलाज’
गोविंद ने बताया कि पिता के भर्ती होने के बाद कोई डॉक्टर नहीं आया। आरोप लगाया कि अस्पताल में कुशल डॉक्टर नहीं थे। तीन दिन भर्ती रखा गया। डॉक्टर से फोन पर बात करके कर्मचारियों के जरिए पिता का इलाज किया जा रहा था। गोविंद के मुताबिक पिता की मौत होने के बाद भी संचालक ने शव को वेंटिलेटर पर रखा। सारे आरोप बेबुनियाद
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यूनाइटेड हॉस्पिटल के संचालक भूपेंद्र सिंह का कहना है कि मरीज के पहले ही दो ऑपरेशन हो चुके था। कोई लापरवाही नहीं की गई है। मौत के बाद शव को वेंटिलेटर पर रखने का आरोप बेबुनियाद है। महज 15 हजार का बिल दिया गया है।