ये भी पढ़ें- कमलेश तिवारी हत्या केस में आरोपियों का लाया गया लखनऊ, डीजीपी का आया बहुत बड़ा बयान कांग्रेस के आयोजनों से अदिति सिंह नदारद-
अदिति सिंह गांधी जयंती के वक्त से ही कांग्रेस से कटी-कटी नजर आ रही हैं। कांग्रेस की महासचिव के कार्यक्रम के ऊपर उन्होंने विधानसभा के विशेष सत्र को तवज्जों दी। तभी से कांग्रेस में उन्हें लेकर उथल-पुथल मची हुई थी। योगी सरकार द्वारी अदिति को मिली वाई श्रेणी की सुरक्षा ने आग में घी डालने का काम किया। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने उन्हें सत्र में शामिल होकर कांग्रेस की अवहेलना करने पर कारण बताओ नोटिस दिया गया। वहीं प्रियंका गांधी मंगलवार से रायबरेली के तीन दिवसीय दौरे पर हैं, यहां पर कांग्रेस की तीन दिवसीय पाठशाला का आयोजन किया गया जा रहा है। अदिति सिंह इसमें भी नदारद दिख रही है।
अदिति सिंह गांधी जयंती के वक्त से ही कांग्रेस से कटी-कटी नजर आ रही हैं। कांग्रेस की महासचिव के कार्यक्रम के ऊपर उन्होंने विधानसभा के विशेष सत्र को तवज्जों दी। तभी से कांग्रेस में उन्हें लेकर उथल-पुथल मची हुई थी। योगी सरकार द्वारी अदिति को मिली वाई श्रेणी की सुरक्षा ने आग में घी डालने का काम किया। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने उन्हें सत्र में शामिल होकर कांग्रेस की अवहेलना करने पर कारण बताओ नोटिस दिया गया। वहीं प्रियंका गांधी मंगलवार से रायबरेली के तीन दिवसीय दौरे पर हैं, यहां पर कांग्रेस की तीन दिवसीय पाठशाला का आयोजन किया गया जा रहा है। अदिति सिंह इसमें भी नदारद दिख रही है।
ये भी पढ़ें- पकड़े गए कमलेश तिवारी के दोनों कातिल, भाजपा का आया बड़ा बयान, फास्ट ट्रैक कोर्ट में होगी सुनवाई अदिति के विकल्प के रूप लाए गए मनीष- सियासी गलियारों में अटकले हैं कि मनीष सिंह को कांग्रेस में अदिति सिंह के विकल्प के रूप में लाया गया है। अदिति सिंह की भाजपा से बढ़ती नजदीकियों के चलते कांग्रेस को डर हैं कि रायबरेली, जो उनका गढ़ है, में जनाधार कमजोर न पड़ जाए। अमेठी खोने के बाद कांग्रेस रायबरेली को नहीं खोने देना चाहती। ऐसे में अदिति के ही चचेरे भाई को लाकर कांग्रेस ने बड़ा दांव चला है।
अखिलेश सिंह के निधन के बाद अदिति सिंह को राजीतिक करियर की चिंता-
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अखिलेश सिंह के निधन के बाद उनकी विधायक बेटी अदिति सिंह को अपने राजनीतिक करियर की चिंता सता रही है। अखिलेश सिंह रहते जिले में लोग उनको मानते थे। जिले में उनका दबदबा था। लेकिन निधन के बाद उनके धुर-विरोधी खुलकर सामने आ रहे हैं, जो नहीं चाहते अदिति सिंह राजनीति में आगे बढ़े। अदिति सिंह इस बात को भली-भांति समझती हैं और ऐसे में संभवतः वह भाजपा में अपना भविष्य देख रही हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अखिलेश सिंह के निधन के बाद उनकी विधायक बेटी अदिति सिंह को अपने राजनीतिक करियर की चिंता सता रही है। अखिलेश सिंह रहते जिले में लोग उनको मानते थे। जिले में उनका दबदबा था। लेकिन निधन के बाद उनके धुर-विरोधी खुलकर सामने आ रहे हैं, जो नहीं चाहते अदिति सिंह राजनीति में आगे बढ़े। अदिति सिंह इस बात को भली-भांति समझती हैं और ऐसे में संभवतः वह भाजपा में अपना भविष्य देख रही हैं।