झिमोमी ने गुरुवार को विकास भवन जनपथ सचिवालय में फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रमों को सफल बनाये जाने संबंधी बैठक को सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार कटिबद्ध है, इसलिए फाइलेरिया रोग के उन्मूलन को सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल किया गया है और इस अभियान को पोलियो उन्मूलन अभियान की तरह चलाया जायेगा। अभियान में लगे वर्कर शहरी इलाकों सहित सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में घर-घर जाकर अपने सामने लोगों को फाइलेरिया की दवां खिलायेंगे। इसके अलावा अलग-अलग जगहों पर बूथ भी बनाये जायेंगे जहां फाइलेरिया की दवा वितरित की जायेगी।
झिमोमी ने निर्देश दिए कि अभियान में लगाये जाने वाले वर्करों, आशाओं एवं वालेंटियर्स को प्रशिक्षित किया जाय और इनको अभियान के दौरान होने वाली समस्त गतिविधियों को पूरी जानकारी दी जाये। इस अभियान में जिन वर्करों को लगाया जायेगा उन्हें प्रतिदिन के हिसाब से 200 रुपये पारिश्रमिक दिया जायेगा। प्रत्येक वर्कर को प्रतिदिन कम से कम 50 मकान कवर करना होगा और 250 लोगों को दवा खिलानी होगी। उन्होंने निर्देश दिए कि कोई भी एरिया छूटने न पाये। अति संवेदनशील क्षेत्रों में खासतौर से फोकस किया जाय। हर ब्लाक में एक नोडल अधिकारी बनाया जाय जो इसकी नियमित मॉनिटरिंग करें। इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही क्षम्य नहीं होगी।
सचिव ने कहा कि पिछले वर्षों की तरह इस वर्ष भी एमडीए कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है और इस संबंध में आवश्यक रणनीति तैयार करने के लिए महानिदेशक चिकित्सा एवं निदेशक संचारी रोग को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया उन्मूलन के लिए पूरे प्रदेश में अभियान चलाये जाने की रणनीति बनाई गई थी लेकिन स्थानीय निकाय चुनाव की आचार संहिता के कारण इस अभियान को स्थगित किया गया है और शीघ्र ही भारत सरकार से विचार-विमर्श के उपरान्त अभियान संचालित किया जायेगा।
उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि फाइलेरिया रोग से बचाव के संबंध में लोगों को जागरूक किया जाय। इसके लिए वृहद स्तर पर प्रचार-प्रसार कराया जाय। उन्होंने कहा कि एमडीए 2017 कार्यक्रम के लिए दिशा-निर्देश एवं बजट का आवंटन प्रभावित जनपदों में उपलब्ध कराया जा चुका है। बैठक के दौरान निदेशक संचारी रोग डॉक्टर मिथलेश चतुर्वेदी ने कहा कि अभियान को सफल बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जायेगी। उन्होंने बताया कि अभियान के संचालन के लिए पूरी रूप रेखा तैयार की जा चुकी है। फाइलेरिया मुक्त भारत के इस अभियान में चयनित जनपदों में 02 वर्ष की आयु के बच्चे से लेकर बुजुर्गों तक को दवा खिलाई जायेगी। इसमें एक गोली डीईसी की तथा एक गोली एल्बेंडाजोल की होगी। आयु के हिसाब से इसकी खुराक भी तय है। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया रोग क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है, इसलिए अभियान के दौरान मच्छरों से बचाव और साफ-सफाई पर विशेष बल दिया जायेगा।
निदेशक ने बताया कि जिन 47 जनपदों में फाइलेरिया उन्मूलन का अभियान चलाया जायेगा वह इलाहाबाद, अम्बेडकर नगर, अमेठी, औरैया, आजमगढ़, बहराइच, बलिया, बलरामपुर, बांदा, बाराबंकी, बरेली, बस्ती, चित्रकूट, देवरिया, फैजाबाद, फर्रूखाबाद, फतेहपुर, गाजीपुर, गोण्डा, गोरखपुर, हमीरपुर, हरदोई, जालौन, जौनपुर, कन्नौज, कानपुर देहात, कानपुर नगर, कशीनगर, खीरी, लखनऊ, महाराजगंज, महोबा, मऊ, मिर्जापुर, पीलीभीत, प्रतापगढ़, रायबरेली, संत कबीर नगर, संत रविदास नगर, शाहजहांपुर, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, सीतापुर, सोनभद्र, सुल्तानपुर, उन्नाव तथा वाराणसी हैं।
डाक्टर चतुर्वेदी ने बताया कि समस्त आयोजन एमडीए गाइड लाइन के अनुसार संचालित होंगे। अभियान से पूर्व विस्तृत माइक्रोप्लान तैयार किया जा रहा है ताकि इस अभियान में आच्छादित लोगों का सही विवरण उपलब्ध हो सके। अभियान के दौरान ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर अपने सामने औषधियों का सेवन करायेंगे। हाइड्रोसील रोगियों के आपरेशन तथा लिम्फोडिया रोगियों को प्रदान किये गये प्रशिक्षणों, उपचार का विवरण प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रवार तैयार कराये जायेंगे। फाइलेरिया के लिम्फोडिमा एवं हाइड्रोसील रोगियों को सफाई एवं एक्सरसाइज के संबंध में विस्तृत जानकारी दी जायेगी।