उत्तर प्रदेश को चार राज्यों में बांटने पर ये बताई वजह उन्होंने कहा कि कानून-व्यवस्था और विकास की स्थिति को बेहतर बनाने के लिये छोटे राज्यों का गठन जरूरी है। अभी उत्तर प्रदेश की हालत देखिये। मैं पूर्वांचल और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जमीनी स्तर पर चीजों को देख रहा हूं। जर्जर कानून-व्यवस्था होने और विकास की अनदेखी के कारण स्कूल, सड़क और अस्पताल नहीं बन पा रहे हैं। सोनभद्र सबसे ज्यादा राजस्व देता है, मगर वहां के हालात देखिये। पूर्वांचल की हालत देख लीजिये। उत्तर प्रदेश चार राज्यों में बंट जाएगा तो अच्छा रहेगा।
इन्होंने भी की थी हरित प्रदेश बनाने की मांग पूर्व केन्द्रीय मंत्री चौधरी अजित सिंह कई बार पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों को मिलाकर ‘हरित प्रदेश‘ बनाने की मांग कर चुके हैं। मगर यह कभी फलीभूत नहीं हुआ। बुंदेलखण्ड की मांग को लेकर वर्ष 2012 का विधानसभा चुनाव लड़ी तत्कालीन ‘बुंदेलखण्ड कांग्रेस’ को बुंदेलखण्ड समेत हर जगह मात खानी पड़ी। उसके अध्यक्ष रहे राजा बुंदेला अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं।
बसपा सरकार ने भी उठाया था ठोस कदम उत्तर प्रदेश के बंटवारे की बात तो नई नहीं है। उत्तर प्रदेश के बंटवारे की सबसे ठोस मांग बसपा सरकार ने की थी। बता दें कि 2011 में मायावती सरकार ने राज्य विधानसभा में यूपी को चार राज्यों पूर्वांचल, बुंदेलखंड, पश्चिम प्रदेश और अवध प्रदेश में बांटने का प्रस्ताव पारित कराकर केंद्र के पास भेजा था।