लखनऊ

कांटे की टक्कर: क्या अखिलेश को हरा देंगे बघेल, जानें करहल का समीकरण, आसान नहीं है जीत

करहल यादव बहुल सीट है। शायद इसीलिए अखिलेश यादव ने अपने लिए सुरक्षित सीट का चयन किया। यहां पर डेढ़ लाख से अधिक यादव वोट हैं। यह समाजवादी पार्टी के परंपरागत वोटर्स हैं। सपा का इस सीट पर 1993 से काबिज है। हालांकि, 2002 में भारतीय जनता पार्टी का उम्मीदवार यहां से जीता था। तब सोबरन यादव जीते थे। सपा के बाबूराम यादव वर्ष 1993 और 1996 में विधायक चुने गए थे। 2007 में फिर से सपा ने वापसी की थी।

लखनऊFeb 05, 2022 / 10:15 am

Prashant Mishra

लखनऊ. मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट हर किसी की जुबान पर है। यहां से समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव चुनाव मैदान में हैं। जबकि, भारतीय जनता पार्टी ने केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल को मैदान में उतारा है। करहल विधानसभा सीट समाजवादी पार्टी का मजबूत गढ़ रही है। अखिलेश यादव के पिता और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की यह राजनीतिक रणभूमि रही है। कांग्रेस ने यहां अखिलेश यादव के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारा है जबकि बसपा से कुलदीप नारायण मैदान में हैं। यहां निर्णायक भूमिका में 1 लाख 44 हजार यादव और 12 प्रतिशत पाल-गड़रिया होंगे। अखिलेश को यादव तो एसपीएस बघेल को गड़रिया मतों पर भरोसा है। बघेल गड़रिया समुदाय से आते हैं।
करहल यादव बहुल सीट है। शायद इसीलिए अखिलेश यादव ने अपने लिए सुरक्षित सीट का चयन किया। यहां पर डेढ़ लाख से अधिक यादव वोट हैं। यह समाजवादी पार्टी के परंपरागत वोटर्स हैं। सपा का इस सीट पर 1993 से काबिज है। हालांकि, 2002 में भारतीय जनता पार्टी का उम्मीदवार यहां से जीता था। तब सोबरन यादव जीते थे। सपा के बाबूराम यादव वर्ष 1993 और 1996 में विधायक चुने गए थे। 2007 में फिर से सपा ने वापसी की थी।
पूर्व सीएम का दबाव है अखिलेश पर

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री रहे हैं। वर्ष 2000 में अखिलेश कन्नौज सीट से उपचुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। फिर 2004 में भी जीते। तीसरी बार 2009 का लोकसभा चुनाव भी अखिलेश यादव जीते। 2012 के विधानसभा चुनाव में 224 सीट पाकर समाजवादी पार्टी ने सरकार बनाई और अखिलेश यादव का प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाए गए। विधानसभा चुनाव 2022 में अखिलेश यादव पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं।
जाति को लेकर चर्चा में बघेल

एसपी सिंह बघेल कभी अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव के सुरक्षा गार्ड हुआ करते थे। बाद में यह मुलायम सिंह यादव के खास बन गए। मुलायम ने इन्हें लोकसभा का चुनाव लड़ाया। यह 1979 में पहली बार जलेसर लोकसभा सीट से उतरे लेकिन नहीं जीते। 1986 में फिर जलेसर सीट से लड़े और हारे। बाद में सपा से अनबन हो गयी। वर्ष 2010 में बघेल बसपा के टिकट से लोकसभा पहुंचे। वर्ष 2014 में फिरोजाबाद लोकसभा सीट से बघेल ने भाजपा के टिकट पर सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव के खिलाफ चुनाव लड़ा लेकिन बघेल की हार हुई। वर्तमान में बघेल आगरा से भाजपा से लोकसभा सांसद हैं। यह मूल रूप से बघेल यानी गड़रिया जाति से हैं। जो बाद में धनगर के सर्टिफिकेट से एससी बन गए। इस मामले में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में मामला चल रहा है।
जातिगत समीकरण

यादव-38 फीसदी

एससी-17 फीसदी

शाक्य-13 फीसदी

गड़रिया-बघेल-12 फीसदी

ठाकुर-09 फीसदी

ब्राह्मण- 07 फीसदी

अल्पसंख्यक-06 फीसदी

मतदाताओं की संख्या

कुल मतदाता- 3,71,241

पुरुष- 2,01,394
महिला-1,69,851

थर्ड जेंडर- 16

Hindi News / Lucknow / कांटे की टक्कर: क्या अखिलेश को हरा देंगे बघेल, जानें करहल का समीकरण, आसान नहीं है जीत

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.