नफरत की राजनीति का आरोप आपको बता दें कि पिछले हफ्ते 104 ब्यूरोक्रेट्स ने पत्र लिखकर सरकार पर नफरत की राजनीति का आरोप लगाते हुए एंटी लव जिहाद कानून को वापस लेने की मांग की थी। अब 224 पूर्व अफसरों के दस्तखत वाले इस पत्र उसी के जवाब के रूप में देखा जा रहा है। पत्र लिखने वालों में पूर्व आईएएस, रिटायर्ड जज और कई शिक्षाविद भी शामिल हैं। सीएम को लिखे इस पत्र में आलोचकों पर भी निशाना साधा गया है। इस कानून को गैर कानूनी और मुस्लिम विरोधी बताने वालों को राजनीति से प्रेरित बताते हुए कहा गया है कि ऐसे लोग देश को साम्प्रदायिकता के आग में झोंकना चाहते हैं। साथ ही कहा गया है कि ऐसे लोग हजारों पूर्व अफसरों का नेतृत्व नहीं करते।
सरकार का कानून बनाना सही प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव योगेंद्र नारायण की अगुवाई में लिखी गयी इस चिट्ठी में कहा गया है कि सरकार को कानून बनाने का पूरा हक है। मुख्यमंत्री को संविधान की सीख देना सरासर गलत है। पत्र में मांग की गई है कि देश की अन्य सरकारें भी सामाजिक सद्भाव बनाए रखने के लिए इस तरह के कानून लागू करें। पत्र पर पंजाब के पूर्व मुख्य सचिव सर्वेश कौशल, हरियाणा के पूर्व मुख्य सचिव धरमवीर, दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस राजेंद्र मेनन और पूर्व राजदूत लक्ष्मी पूरी समेत तमाम अन्य लोगों के भी दस्तखत हैं।