सभी कमिश्नर व डीएम को दिए गए आदेश- प्रमुख सचिव समाज कल्याण मनोज सिंह ने इस मामले में सभी कमिश्नर व जिलाधिकारियों को लिखित आदेश जारी किया है। इसमें कहा गया है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस बाबत जारी जनहित याचिका पर पारित आदेश का अनुपालन सुनिश्चित किया जाए। इन जातियों को परीक्षण और सही दस्तावेजों के आधार पर एससी का जाति प्रमाण पत्र जारी किया जाए।
ये भी पढ़ें- यूपी के व्यापारियों के लिए खुशखबरी, मिलेगी पेंशन, बैठक में लिया गया बहुत बड़ा फैसला पहले भी हो चुकी है कोशिश- इससे पहले पूर्व की समाजवादी पार्टी व बहुजन समाज पार्टी की सरकारों में भी इन जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की कोशिश तो की गई, लेकिन मामला ठंडे बस्ते में चला गया। 2016 में समाजवादी पार्टी सरकार के दौरान अदालत ने इसको लेकर जारी किए गये राज्य सरकार के आदेश पर रोक लगा दी थी, हालांकि केंद्र सरकार की कोशिशें जारी रही। केंद्र का तर्क था कि इन सभी जातियों की सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक स्थिति निम्न स्तर की हैं और ये जातियां अनुसूचित जाति की सूची में शामिल होने की सभी शर्तों को पूरी करती हैं। यही नहीं यह भी बताया गया कि इन जातियों के एससी की सूची में शामिल होने से वर्तमान अनुसूचित जातियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा।