लखनऊ

यूपी के 15 लाख ग्रामीणों के लिए अच्छी खबर, सरकार जल्द देने जा रही है बड़ी खुशखबरी

12 अक्टूबर 2021 को स्वामित्व योजना की शुरुआत हुई थी। तब प्रधानमंत्री की मौजूदगी में सूबे के 37 जिलों के 346 गांवों के 41,431 ग्रामीणों को घरौनी दस्तावेज डिजिटली वितरित किया गया था। इसके बाद बीते 15 दिसंबर को 229 गांवों के 10041 ग्रामीणों को घरौनी का वितरण किया गया।

लखनऊOct 23, 2021 / 07:33 pm

Hariom Dwivedi

cm yogi

लखनऊ. उत्तर प्रदेश के गावों में रिहायशी संपत्तियों (आवास) का ड्रोन से सर्वे कर लोगों को उसके मालिकाना हक का दस्तावेज (ग्रामीण आवासीय अभिलेख/ घरौनी) मुहैया कराने वाली स्वामित्व योजना के तहत जल्दी ही 15 लाख से अधिक ग्रामीणों को घरौनी प्रमाण पत्र उपलब्ध कराया जाएगा। राज्य सरकर के प्रवक्ता के अनुसार, नौ राज्यों में ही ये योजना चल रही है, जिसके तहत प्रदेश के 23 जिलों के 34,208 गांवों में ड्रोन से रिहायशी संपत्तियों के सर्वे का कार्य पूरा कर 15, 25,516 ग्रामीणों के आवास का घरौनी प्रमाण पत्र तैयार किया गया है। जल्दी ही (अगले माह) एक भव्य समारोह आयोजित कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में ग्रामीणों को डिजिटली घरौनी प्रमाण पत्र उपलब्ध कराया जाएगा। ग्रामीणों को घरौनी दस्तावेज मुहैया कराने के मामले में यूपी देश में सबसे आगे है। यह प्रदेश सरकार के लिए गर्व का विषय है।”
उत्तर प्रदेश के ग्रामीणों को उनकी आवासीय संपत्ति के दस्तावेज डिजिटल रूप में मिलें, इसके लिए प्रदेश सरकार ने सूबे के करीब एक लाख गांवों की 7.65 करोड़ संपत्तियों का कंप्यूटरीकरण कराने की योजना तैयार की है। इसके तहत खेतों की खतौनी की तर्ज पर स्वामित्व योजना के अंतर्गत राजस्व बोर्ड ग्रामीणों की आवासीय संपत्ति के मालिकाना हक का दस्तावेज तैयार करा रहा है।
12 अक्टूबर 2020 में शुरू हुई थी स्वामित्व योजना
बीते साल 12 अक्टूबर को स्वामित्व योजना की शुरुआत हुई थी। तब प्रधानमंत्री की मौजूदगी में सूबे के 37 जिलों के 346 गांवों के 41,431 ग्रामीणों को घरौनी दस्तावेज डिजिटली वितरित किया गया था। इसके बाद बीते 15 दिसंबर को 229 गांवों के 10041 ग्रामीणों को घरौनी का वितरण किया गया। फिर बीती 12 फरवरी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथो से सूबे में 11 जिलों के 1001 गांवों के 2,09,016 ग्रामीणों को उनकी आवासीय संपत्ति के मालिकाना देने संबंधी ग्रामीण आवासीय अभिलेख/घरौनी प्रमाण पत्र मुहैया कराए गए थे। इसके बाद अब 24 अप्रैल को फिर सूबे के 425 गांवों के 57,401 ग्रामीणों को उनकी आवासीय संपत्तियों के दस्तावेज (ग्रामीण आवासीय अभिलेख/ घरौनी) डिजिटली वितरित किए गए। तब यूपी के झांसी, ललितपुर, महोबा, चित्रकूट, एटा, इटावा, मैनपुरी, वाराणसी, बरेली, बिजनौर, रामपुर, अमरोहा, बदायूं, बागपत, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर के कई गांवों के ग्रामीणों को उनकी आवासीय संपत्तियों के ग्रामीण आवासीय अभिलेख (घरौनी) उन्हें सौंपी गई थी।
गांवों का डिजिटल मैप बनाने का कार्य
स्वामित्व योजना के अंतर्गत दिया जाने वाला ग्रामीण आवासीय अभिलेख/घरौनी केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना है। इसके तहत उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में गांवों का ड्रोन की मदद से डिजिटल मानचित्र तैयार किया जाएगा। डिजिटल मानचित्र के जरिये राज्य के करीब एक लाख गांवों में ग्रामीण आवासीय अधिकार अभिलेख (घरौनी) तैयार किया जाना है। अब तक 55 ड्रोन के जरिए 34,208 गांवों का सर्वे किया जा चुका है और गांवों का डिजिटल मैप बनाने का कार्य किया जा रहा है।
यह भी पढ़ें

महिलाओं को टिकट देने में सभी दल रहे हैं ‘कंजूस’, जानें- इस बार क्या बन रही रणनीति



हर घर का अभिलेख ग्रामीण प्राप्त कर सकेंगे
राजस्व बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार, घरौनी के माध्यम से हर गांव और गांव में बने हर घर का अभिलेख ग्रामीण प्राप्त कर सकेंगे। इस दस्तावेज के जरिए ग्रामीण बैंकों से लोन प्राप्त कर सकेंगे। अभी तक ग्रामीणों उनके मकान पर बैंक लोन नहीं देते थे, क्योंकि गांव में बने ग्रामीणों के मकान का कोई मालिकाना हक साबित करने वाला दस्तावेज उनके पास नहीं था। जिसका संज्ञान लेते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर तैयार की गई स्वामित्व योजना के तहत ग्रामीण आबादी में बने घरों के असली मालिकों को योगी सरकार उनका मालिकाना हक दे रही है।
सभी 75 जिलों में सर्वे का कार्य
केंद्र सरकार की इस योजना को अमली जामा पहनाने के लिए प्रदेश के सभी 75 जिलों में सर्वे का कार्य किया जाना है। वर्ष 2025 तक इस महत्वाकांक्षी स्वामित्व योजना को पूरा किया जाना है।
यह भी पढ़ें

वरुण गांधी के बयान से फिर असहज हुई भाजपा, कृषि नीति को लेकर भाजपा सांसद ने कह दी बड़ी बात



Hindi News / Lucknow / यूपी के 15 लाख ग्रामीणों के लिए अच्छी खबर, सरकार जल्द देने जा रही है बड़ी खुशखबरी

Copyright © 2025 Patrika Group. All Rights Reserved.