यूपी विधानसभा में बाहुबलियों की फौज यूपी विधानसभा में आठ विधायक ऐसे हैं जिनपर हत्या का मुकदमा चल रहा है। 34 विधायकों पर हत्या की कोशिश का मुकदमा चल रहा है। एक विधायक पर तो महिला से छेड़छाड़ का आरोप हैं और 58 विधायकों के खिलाफ अन्य गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज है। इस फेहरिस्त में मुख्तार अंसारी, ब्रजेश सिंह, राजा भैया, सुशील सिंह, विजय मिश्रा समेत कई विधायक शामिल हैं। मुख्तार अंसारी और विजय मिश्र पर 16-16 मुकदमे दर्ज हैं। बहुजन समाज पार्टी से एमएलए असलम अली पर 10 मुकदमें दर्ज हैं।
उम्रकैद की सजा पा चुके हैं विधायक सेंगर विधायक कुलदीप सिंह सेंगर उम्रकैद की सजा पा चुका है। यूपी में तो बीजेपी कुलदीप सिंह सेंगर को उम्रकैद की सजा के बाद भी बचाती रही। अंतत: छिछालेदार के बाद उसे पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया। आज भी कुलदीप विधायक है। इनके अलावा हरिशंकर तिवारी, रघुराज प्रताप सिंह ऊर्फ राजा भइया, अतीक अहमद, अमरमणि त्रिपाठी, धनंजय सिंह, ब्रजेश सिंह, सुशील सिंह आदि माफिया राजनीति में हाथ आजमा चुके हैं।
खादी पहनकर अहिंसा का पाठ पढ़ाने वालों पर आरोप अपनी सियासी जमीन को सींचने के लिए खून बहाने का चलन उत्तर प्रदेश में कोई नया नहीं है। सूबे का इतिहास ऐसी कई घटनाओं से पटा पड़ा है। जहां सियासतदानों पर उंगलियां उठती रही हैं। फिर चाहे वो गाजीपुर का कृष्णानंद राय हत्याकांड हो, इलाहाबाद के विधायक राजूपाल की हत्या का मामला हो या फिर बसपा सरकार में मंत्री रहे नंदगोपाल नंदी पर जानलेवा हमले का मामला। हर बार खादी पहनकर अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले ही यहां आरोपों के घेरे में रहे हैं।
जरायम की दुनिया से सत्ता की गलियारे तक सियासत का चोला ओढ़कर बेखौफ घूम रहे इन सियासतदानों के आगे कानून भी बौना नजर आता है। वर्चस्व की लड़ाई अब जरायम की दुनिया से निकलकर सत्ता के गलियारे तक पहुंच गई है। सियासत का अपराध से नाता सियासतदानों ने ही जोड़ा। अपने दुश्मनों को रास्ते से हटाने के लिए नेताओं ने माफियाओं का इस्तेमाल किया और धीरे-धीरे ये माफिया राजनीति में सक्रिय हो गए।