उनकी टीम ने शुरुआत में लाखों की संख्या में उन क्षेत्रों में पौधे रोपे जहां वनों की अंधाधुंध कटाई के कारण कार्बन ऑफसेट और वन्यजीव संरक्षण क्षेत्रों को हानि पहुंची थी। लेकिन स्थानीय लोगों की मदद के बिना इनमें से केवल 5 फीसदी पौधे ही बच सके। इससे सबक लेते हुए उनकी टीम ने ‘फारेस्ट गार्डन एप्रोच’ की शुरुआत की जो स्थानीय स्तर पर लोगों खासकर किसानों को पेड़-पौधों का इस्तेमाल उपजाऊपन खो चुकी कृषि भूमि को फिर से उर्वरा बनाने के लिए प्रशिक्षित करती है। इस प्रयास से अब किसान कार्बन उत्सर्जन की बजाय वन उद्यान लगाकर बीते 20 साल की अवधि में प्रति एकड़ 230 टन से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड खपा रहे हैं। ‘फारेस्ट गार्डन एप्रोच’ का प्राथमिक उद्देश्य पहले किसानों को आर्थिक रूप से सश्सक्त बनाना है उसके बाद पौधरोपण करना है।
लीयरी और उनकी टीम अब तक किसानों के साथ मिलकर 10 हजार से ज्यादा ‘फारेस्ट गार्डन’ का निर्माण कर चुके हैं, जो 20 सालों के दौरान २24 लाख टन कार्बन डाईऑक्साइड का उपयोग कर चुके हैं। यह 25 हजार कारों को सड़क से हटाने जैसा है। यह प्रोजेक्ट मुख्य रूप से अफ्रीकी देशों, सीनेगल, कीनिया और तंजानिया में केन्द्रित है। टीएफएफ निर्धन देशों के वनविहीन क्षेत्रों में इस प्रोजेक्ट के जरिए हरियाली लाने और जलवायु परिवर्तन से लडऩे का काम कर रहे हैं। चार साल के इस प्रोजेक्ट के अंत तक 1500 से ज्यादा पौधे बढ़ जाते हैं। लीयरी कहते हैं कि भूमि की उर्वरा शक्ति के कमजोर पडऩे का एक बड़ा कारण किसानों का गलत फसलें बोना है। लीयरी यहां भी किसानों की मदद करते हैं।
जुलाई 2019* तक 12 महीनों के दौरान ही लीयरी और उनकी टीम 6 हजार से ज्यादा फॉरेस्ट गार्डन विकसित कर चुके हैं जिनमें करीब 1.1 करोड़ पेड़ हैं। अब उन्होंने एक MOBILE APP भी बनाया है जिसे अंग्रेजी और फ्रेंच समझने वाला कोई भी व्यक्ति एपयोग कर सकता है। इस ऐप में बताए गए तरीकों का इस्तेमाल कर कोई भी किसान फॉरेस्ट गार्डन बना सकता है। इस ऐप को सबसे ज्यादा भारत, ऑस्ट्रेलिया, जाम्बिया में डाउनलोड किया गया है।