क्या करती है अर्जुन की ऐप
दरअसल अर्जुन की ऐप उन लोगों खासकर उन अप्रवासी भारतीयों को साइबरबुलीइंग से बचाती है जिन्हें नस्लभेद और रोजगार के कारण अमरीका में साइबरबुलीइंग का शिकार होते हैं। यह अपराध एक खास समुदाय के विरुद्ध स्कूल से ही शुरू हो जाते हैं। अर्जुन का कहना है कि साइबरबुलिंग एक वैश्विक समस्या है जो लाखों किशोरों और बच्चों को प्रभावित करती हैं। विशेष रूप से अप्रवासी, जिनमें से कई नस्लवादी या अपमानजनक सांस्कृतिक टिप्पणियों का रोज सामना करते हैं। इसलिए उन्होंने एक उपकरण बनाने का विचार किया जो साइबरबुलिंग और भद्दी भाषा बोलने वालों के बारे में बच्चों को सतर्क, अभिभावकों को सूचित और समाज को शिक्षित कर सके। एआइ के इस्तेमाल से उन्हें भाषाई संदर्भ की Problem का समाधान मिल गया। कम्प्युटर कोडिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग कर उन्होंने एक ऐसी ऐप विकसित की है जो साइबर बुलीइंग के दौरान अलग-अलग भाषा और स्लैँग में बोले जाने वाले अपशब्दों का अर्थ समझा सकती है। इतना ही नहीं ऐप इसका एलर्ट मैसेज भी अभिभावकों तक पहुंचाता है।
दरअसल अर्जुन की ऐप उन लोगों खासकर उन अप्रवासी भारतीयों को साइबरबुलीइंग से बचाती है जिन्हें नस्लभेद और रोजगार के कारण अमरीका में साइबरबुलीइंग का शिकार होते हैं। यह अपराध एक खास समुदाय के विरुद्ध स्कूल से ही शुरू हो जाते हैं। अर्जुन का कहना है कि साइबरबुलिंग एक वैश्विक समस्या है जो लाखों किशोरों और बच्चों को प्रभावित करती हैं। विशेष रूप से अप्रवासी, जिनमें से कई नस्लवादी या अपमानजनक सांस्कृतिक टिप्पणियों का रोज सामना करते हैं। इसलिए उन्होंने एक उपकरण बनाने का विचार किया जो साइबरबुलिंग और भद्दी भाषा बोलने वालों के बारे में बच्चों को सतर्क, अभिभावकों को सूचित और समाज को शिक्षित कर सके। एआइ के इस्तेमाल से उन्हें भाषाई संदर्भ की Problem का समाधान मिल गया। कम्प्युटर कोडिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग कर उन्होंने एक ऐसी ऐप विकसित की है जो साइबर बुलीइंग के दौरान अलग-अलग भाषा और स्लैँग में बोले जाने वाले अपशब्दों का अर्थ समझा सकती है। इतना ही नहीं ऐप इसका एलर्ट मैसेज भी अभिभावकों तक पहुंचाता है।