टेक्नोलॉजी

साइबर बुलीइंग से अप्रवासियों को बचने के लिए आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस से लेस एंटी-बुलीइंग ऐप बनाया

भारतीय मूल के अर्जुन नीरवन्नन ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग कर एंटी-बुलीइंग ऐप विकसित की है जिसने उन्हें रीजेनेरोन साइंस टैलेंट सर्च में शीर्ष 40 में जगह दिलवाई।

Feb 24, 2020 / 04:55 pm

Mohmad Imran

साइबर बुलीइंग से अप्रवासियों को बचने के लिए आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस से लेस एंटी-बुलीइंग ऐप बनाया

भारतीय छात्र अर्जुन नीरवन्नन ने अमरीका की सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित विज्ञान और गणित की ‘द साइंस टैलेंट सर्च’ प्रतियोगिता में टॉप-40 में जगह बनाने में कामयाब रहे। उन्होंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग कर एंटी-बुलीइंग ऐप बनाई है। 1942 में सोसाइटी फॉर साइंस एंड पब्लिक द्वारा स्थापित द रीजेनेरोन साइंस टैलेंट सर्च प्रतियोगिता हाईस्कूल के बच्चों के लिए अपनी प्रतिभा दिखाने का सबसे बेहतरीन मंच है। क्योंकि यहां जीतने वाले पूर्व छात्र दुनिया के 100 से अधिक प्रतिष्ठित विज्ञान और गणित सम्मान प्राप्त कर चुके हैं जिनमें 13 नोबेल पुरस्कार भी शामिल हैं। इस साल भी इस प्रतियोगिता के 40 फाइनलिस्ट में से 9 भारतीय मूल के हैं जो करीब 23 फीसदी हिस्सेदारी है। यूनिवर्सिटी हाई स्कूल, कैलिफोर्निया के भारतीय मूल के अमरीकी छात्र अर्जुन को इस साल प्रतियोगिता के टॉप 40 में चुना गया है। अब वे 5 से 11 मार्च के बीच वाशिंगटन डीसी में एसटीएस के फाइनल वीक में हिस्सा लेंगे।
क्या करती है अर्जुन की ऐप
दरअसल अर्जुन की ऐप उन लोगों खासकर उन अप्रवासी भारतीयों को साइबरबुलीइंग से बचाती है जिन्हें नस्लभेद और रोजगार के कारण अमरीका में साइबरबुलीइंग का शिकार होते हैं। यह अपराध एक खास समुदाय के विरुद्ध स्कूल से ही शुरू हो जाते हैं। अर्जुन का कहना है कि साइबरबुलिंग एक वैश्विक समस्या है जो लाखों किशोरों और बच्चों को प्रभावित करती हैं। विशेष रूप से अप्रवासी, जिनमें से कई नस्लवादी या अपमानजनक सांस्कृतिक टिप्पणियों का रोज सामना करते हैं। इसलिए उन्होंने एक उपकरण बनाने का विचार किया जो साइबरबुलिंग और भद्दी भाषा बोलने वालों के बारे में बच्चों को सतर्क, अभिभावकों को सूचित और समाज को शिक्षित कर सके। एआइ के इस्तेमाल से उन्हें भाषाई संदर्भ की Problem का समाधान मिल गया। कम्प्युटर कोडिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग कर उन्होंने एक ऐसी ऐप विकसित की है जो साइबर बुलीइंग के दौरान अलग-अलग भाषा और स्लैँग में बोले जाने वाले अपशब्दों का अर्थ समझा सकती है। इतना ही नहीं ऐप इसका एलर्ट मैसेज भी अभिभावकों तक पहुंचाता है।

Hindi News / Technology / साइबर बुलीइंग से अप्रवासियों को बचने के लिए आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस से लेस एंटी-बुलीइंग ऐप बनाया

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.