लगाए ये आरोप
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक के खिलाफ किए गए इन 2 प्रतिस्पर्धा रोकने वाले मुकदमों में आरोप लगाए गए हैं कि उसने प्रतिस्पर्धियों को खरीदने के लिए ’बिक जाओ या मिट जाओ’ की रणनीति का इस्तेमाल किया है। आरोप लगाया गया है कि फेसबुक अपने प्रतिद्वंद्वियों को खरीदकर सोशल नेटवर्किंग की दुनिया में अपना एकाधिकार जमाना चाहता है। इसके लिए फेसबुक ने अपनी शक्ति का दुरुपयोग किया
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक के खिलाफ किए गए इन 2 प्रतिस्पर्धा रोकने वाले मुकदमों में आरोप लगाए गए हैं कि उसने प्रतिस्पर्धियों को खरीदने के लिए ’बिक जाओ या मिट जाओ’ की रणनीति का इस्तेमाल किया है। आरोप लगाया गया है कि फेसबुक अपने प्रतिद्वंद्वियों को खरीदकर सोशल नेटवर्किंग की दुनिया में अपना एकाधिकार जमाना चाहता है। इसके लिए फेसबुक ने अपनी शक्ति का दुरुपयोग किया
बेचने पड़ सकते हैं व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम
अगर फेसबुक को इन केस में हार का सामना करना पड़ा तो उसे व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम बेचने पड़ सकते हैं। बता दें कि अमरीका में इस साल दूसरी बड़ी टेक दिग्गज कंपनी पर केस हुआ है। इससे पहले अमरीका के जस्टिस डिपार्टमेंट ने इस साल अक्टूबर में अल्फाबेट इंक की कंपनी गूगल पर मुकदमा किया था। गूगल पर भी अपने प्रतिस्पर्धियों को दबाने के लिए अपने मार्केट पॉवर इस्तेमाल करने के आरोप लगे हैं।
अगर फेसबुक को इन केस में हार का सामना करना पड़ा तो उसे व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम बेचने पड़ सकते हैं। बता दें कि अमरीका में इस साल दूसरी बड़ी टेक दिग्गज कंपनी पर केस हुआ है। इससे पहले अमरीका के जस्टिस डिपार्टमेंट ने इस साल अक्टूबर में अल्फाबेट इंक की कंपनी गूगल पर मुकदमा किया था। गूगल पर भी अपने प्रतिस्पर्धियों को दबाने के लिए अपने मार्केट पॉवर इस्तेमाल करने के आरोप लगे हैं।
फेसबुक ने इतने में खरीदा था व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम को
फेसबुक ने साल 2012 में इंस्टाग्राम और 2014 में व्हाट्सएप को खरीदा था। फेसबुक के इन सौदों पर भी सवाल उठाए गए हैं। केस करने वाले पक्ष का कहना है कि फेसबुक का रणनीतिक अधिग्रहण प्रतिस्पर्धा के नियमों का उल्लंघन करते हैं। बता दें कि फेसबुक ने साल 2012 में फोटो शेयरिंग एप इंस्टाग्राम का 1 अरब डॉलर में खरीदा था। वहीं साल 2014 में मैसेजिंग एप व्हाट्सएप को 19 अरब डॉलर में खरीदा था। फेडरल और स्टेट रेगुलेटर्स का कहना है कि इन अधिग्रहण सौदों की पर्तें खुलनी चाहिए।
फेसबुक ने साल 2012 में इंस्टाग्राम और 2014 में व्हाट्सएप को खरीदा था। फेसबुक के इन सौदों पर भी सवाल उठाए गए हैं। केस करने वाले पक्ष का कहना है कि फेसबुक का रणनीतिक अधिग्रहण प्रतिस्पर्धा के नियमों का उल्लंघन करते हैं। बता दें कि फेसबुक ने साल 2012 में फोटो शेयरिंग एप इंस्टाग्राम का 1 अरब डॉलर में खरीदा था। वहीं साल 2014 में मैसेजिंग एप व्हाट्सएप को 19 अरब डॉलर में खरीदा था। फेडरल और स्टेट रेगुलेटर्स का कहना है कि इन अधिग्रहण सौदों की पर्तें खुलनी चाहिए।
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46 स्टेट्स के गठबंधन की तरफ से न्यूयॉर्क अटॉर्नी जनरल लेटिटिया जेम्स ने कहा कि फेसबुक ने करीब एक दषक तक छोटे प्रतिस्पर्धियों को कुचलने और कॉम्पिटिशन खत्म करने के लिए अपनी शक्ति का इस्तेमाल किया। साथ ही उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धियों के खतरा बनने से पहले ही फेसबुक ने उन्हें खरीद लिया।
46 स्टेट्स के गठबंधन की तरफ से न्यूयॉर्क अटॉर्नी जनरल लेटिटिया जेम्स ने कहा कि फेसबुक ने करीब एक दषक तक छोटे प्रतिस्पर्धियों को कुचलने और कॉम्पिटिशन खत्म करने के लिए अपनी शक्ति का इस्तेमाल किया। साथ ही उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धियों के खतरा बनने से पहले ही फेसबुक ने उन्हें खरीद लिया।
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व्हीं फेसबुक ने इस मामले में कंप्टीशन को खत्म करने के आरोपों से इनकार किया है। कंपनी का कहना है कि एफटीसी ने इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप के अधिग्रहण को मंजूरी दी थी। साथ ही फेसबुक का कहना है कि ये दोनों प्रोडक्ट बिना निवेष के आगे नहीं बढ़ सकते थे। इतना ही नहीं ट्विटर, टिकटॉक और स्नैप के रूप में इस फील्ड में पर्याप्त प्रतिस्पर्द्धा है।
व्हीं फेसबुक ने इस मामले में कंप्टीशन को खत्म करने के आरोपों से इनकार किया है। कंपनी का कहना है कि एफटीसी ने इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप के अधिग्रहण को मंजूरी दी थी। साथ ही फेसबुक का कहना है कि ये दोनों प्रोडक्ट बिना निवेष के आगे नहीं बढ़ सकते थे। इतना ही नहीं ट्विटर, टिकटॉक और स्नैप के रूप में इस फील्ड में पर्याप्त प्रतिस्पर्द्धा है।