5 जी तकनीक पर शोध डॉ. मोनिशा घोष ने शिक्षा और उद्योग में अत्याधुनिक वायरलेस मुद्दों पर शोध किए हैं। वे इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आइओटी), मेडिकल टेलीमेट्री और प्रसारण मानकों में भी विशेषज्ञता रखती हैं। 1991 में दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी करने वाली घोष ने 1986 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खडग़पुर से बीटेक किया है। एफसीसी के अनुसार, घोष कंप्यूटर एवं सूचना प्रणाली और इंजीनियरिंग निदेशालय के भीतर कंप्यूटर और नेटवर्क सिस्टम डिवीजन में कार्यक्रम निदेशक के रूप में भी काम कर चुकी हैं।
बनाए वायरलैस स्पेक्ट्रम
उन्होंने अमरीका के नैशन साइंस फाउंडेशन में प्रोग्राम ऑफिसर के रूप में स्पेक्ट्रम और वायरलेस स्पेक्ट्रम साझा करने के लिए नए शोध और उपयोग किए। डॉ. मोनिशा घोष ने यहां कोर वायरलेस रिसर्च पोर्टफोलियो जैसे मशीन लर्निंग फॉर वायरलैस नेटवर्किंग सिंस्टम का भी प्रबंधन किया है। इतना ही नहीं वे शिकागो विश्वविद्यालय में रिसर्च प्रोफेसर भी हैं और इंटरनेट, 5जी सेलुलर, अगली पीढ़ी के वाई-फाई सिस्टम और स्पेक्ट्रम को-एग्जिस्टेंस (सह-आस्तित्व) के लिए वायरलेस तकनीकों पर शोध करती हैं।
उन्होंने अमरीका के नैशन साइंस फाउंडेशन में प्रोग्राम ऑफिसर के रूप में स्पेक्ट्रम और वायरलेस स्पेक्ट्रम साझा करने के लिए नए शोध और उपयोग किए। डॉ. मोनिशा घोष ने यहां कोर वायरलेस रिसर्च पोर्टफोलियो जैसे मशीन लर्निंग फॉर वायरलैस नेटवर्किंग सिंस्टम का भी प्रबंधन किया है। इतना ही नहीं वे शिकागो विश्वविद्यालय में रिसर्च प्रोफेसर भी हैं और इंटरनेट, 5जी सेलुलर, अगली पीढ़ी के वाई-फाई सिस्टम और स्पेक्ट्रम को-एग्जिस्टेंस (सह-आस्तित्व) के लिए वायरलेस तकनीकों पर शोध करती हैं।