महासागरों में अवसर तलाशेंगी
गियर-अप गर्ल्स ग्लोबल चैलेंस के तीसरे संस्करण में हिस्सा लेंगी। इस बार प्रतियोगिता का विषय ‘ओशियंस अपॉच्र्युनिटी’ यानि महासागर में अवसर की संभावना हैं। इस थीम का उद्देश्य युवाओं को महासागर में व्यपप्त हानिकारक प्रदूषण से निपटने की स्टेटजी पर काम करना है जो समुद्र के जलीय जीवन और इंसानों को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर रहा है। इतना ही नहीं पांचों लड़कियों की ये टीम छात्राओं को स्टेम विषयों में ज्यादा से ज्यादा हिस्सा लेने के लिए भी प्रेरित करती है।
अपने स्कूल के बाद पांचों घंटों रोबोट निर्माण में बिजी रहते हैं और बेहतर रोबोटिक प्रणाली विकसित करने का प्रयास करती हैं। वे रोबोट निर्माण में वास्तविक दुनिया में उपयोग होने वाले गणित और इंजीनियरिंग के सामान्य सिद्धांतों को भी अपने काम में शामिल कर रही हैं। 14 से 18 वर्ष की इन किशोरवय रोबोटिक्स इंजीनियरों का सामना प्रतियोगिता में अपनी श्रेणी में 193 देशों से आने वाले करीब 2000 प्रतिभागियों से होगा। टीम एसटीईएम शिक्षा और रोबोटिक्स को अधिक समावेशी बनाने के मिशन पर भी काम कर रही हैं। इन दिनों वे अपने बनाए रोबोट को विभिन्न स्कूल और कॉलेज के साइंस ओलंपियाड में प्रदर्शित कर रही हैं।
गियर-अप गर्ल्स ग्लोबल चैलेंस के तीसरे संस्करण में हिस्सा लेंगी। इस बार प्रतियोगिता का विषय ‘ओशियंस अपॉच्र्युनिटी’ यानि महासागर में अवसर की संभावना हैं। इस थीम का उद्देश्य युवाओं को महासागर में व्यपप्त हानिकारक प्रदूषण से निपटने की स्टेटजी पर काम करना है जो समुद्र के जलीय जीवन और इंसानों को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर रहा है। इतना ही नहीं पांचों लड़कियों की ये टीम छात्राओं को स्टेम विषयों में ज्यादा से ज्यादा हिस्सा लेने के लिए भी प्रेरित करती है।
अपने स्कूल के बाद पांचों घंटों रोबोट निर्माण में बिजी रहते हैं और बेहतर रोबोटिक प्रणाली विकसित करने का प्रयास करती हैं। वे रोबोट निर्माण में वास्तविक दुनिया में उपयोग होने वाले गणित और इंजीनियरिंग के सामान्य सिद्धांतों को भी अपने काम में शामिल कर रही हैं। 14 से 18 वर्ष की इन किशोरवय रोबोटिक्स इंजीनियरों का सामना प्रतियोगिता में अपनी श्रेणी में 193 देशों से आने वाले करीब 2000 प्रतिभागियों से होगा। टीम एसटीईएम शिक्षा और रोबोटिक्स को अधिक समावेशी बनाने के मिशन पर भी काम कर रही हैं। इन दिनों वे अपने बनाए रोबोट को विभिन्न स्कूल और कॉलेज के साइंस ओलंपियाड में प्रदर्शित कर रही हैं।