टेक्नोलॉजी

रोबोटिक ओलंपिक्स में भारत की पहली महिला टीम

रोबोटिक ओलंपिक्स में भारत की पहली महिला टीम
 
विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग और मैथेमैटिक्स (स्टेम विषय) के क्षेत्र में महिलाओं की हिस्सेदारी आज भी बहुत कम है।

Oct 21, 2019 / 03:26 pm

Mohmad Imran

रोबोटिक ओलंपिक्स में भारत की पहली महिला टीम

रोबोटिक ओलंपिक्स में भारत की पहली महिला टीम
विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग और मैथेमैटिक्स (स्टेम विषय) के क्षेत्र में महिलाओं की हिस्सेदारी आज भी बहुत कम है। भारत में भी स्टेम विषयों के अलावा रोबोटिक्स में भी पूरी तरह से लड़कियों का हस्तक्षेप नहीं हो पाया है। लेकिन इस मिथक को तोडऩे का काम किया है मुम्बई स्थित ‘गियर-अप गर्ल्स’ की टीम ने। यह देश की पहली लड़कियों की रोबोटिक्स टीम है जो 24 से 27 अक्टूबर के बीच दुबई में होने जा रहे अंतरराष्ट्रीय रोबोटिक्स ओलंपियाड के ग्लोबल चैलेंज में भारत का प्रतिनिधित्व करेगी। टीम में पांच लड़कियां हैं जो अपनी रोबोटिक्स इंजीनियरिंग और प्रोग्रामिंग का जलवा प्रतियोगिता में दिखाएंगी। टीम में आरुषि शाह रोबोट के डिजायन, निर्माण और इलेक्ट्रिकल्स पर काम करती हैं। दूसरी सदस्य राधिका सेखसरिया हैं जो अपने प्रोजेक्ट के लिए फंड जुटाने और प्रोग्रामिंग की जिम्मेदारी संभालती हैं। तीसरी सदस्य आयुषी नैनन का मुख्य काम आउटरीच और प्रोग्रामिंग है। टीम की चौथी सदस्य जसमेहर कोचर हैं जो टीम की प्रोग्रामिंग और रणनीतिकार हैं। टीम की पांचवी सदस्य लावण्या इयारिस हैं जो रोबोट निर्माण और रणनीति विभाग संभालती हैं।
महासागरों में अवसर तलाशेंगी
गियर-अप गर्ल्स ग्लोबल चैलेंस के तीसरे संस्करण में हिस्सा लेंगी। इस बार प्रतियोगिता का विषय ‘ओशियंस अपॉच्र्युनिटी’ यानि महासागर में अवसर की संभावना हैं। इस थीम का उद्देश्य युवाओं को महासागर में व्यपप्त हानिकारक प्रदूषण से निपटने की स्टेटजी पर काम करना है जो समुद्र के जलीय जीवन और इंसानों को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर रहा है। इतना ही नहीं पांचों लड़कियों की ये टीम छात्राओं को स्टेम विषयों में ज्यादा से ज्यादा हिस्सा लेने के लिए भी प्रेरित करती है।
अपने स्कूल के बाद पांचों घंटों रोबोट निर्माण में बिजी रहते हैं और बेहतर रोबोटिक प्रणाली विकसित करने का प्रयास करती हैं। वे रोबोट निर्माण में वास्तविक दुनिया में उपयोग होने वाले गणित और इंजीनियरिंग के सामान्य सिद्धांतों को भी अपने काम में शामिल कर रही हैं। 14 से 18 वर्ष की इन किशोरवय रोबोटिक्स इंजीनियरों का सामना प्रतियोगिता में अपनी श्रेणी में 193 देशों से आने वाले करीब 2000 प्रतिभागियों से होगा। टीम एसटीईएम शिक्षा और रोबोटिक्स को अधिक समावेशी बनाने के मिशन पर भी काम कर रही हैं। इन दिनों वे अपने बनाए रोबोट को विभिन्न स्कूल और कॉलेज के साइंस ओलंपियाड में प्रदर्शित कर रही हैं।

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