सीतारमण की टिप्पणी पर दिया जवाब
मनमोहन एक संवाददाता सम्मेलन में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की पिछली सरकार पर की गई टिप्पणी को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने यह जवाब दिया । सीतारमण ने अपनी अमरीका यात्रा के दौरान कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के कार्यकाल के दौरान भारतीय बैंकिंग क्षेत्र बुरे दौर में पहुंचा है।
हमारी गलतियों से सीख लेती मोदी सरकार
मनमोहन सिंह ने स्वीकार किया कि उनके कार्यकाल में कुछ ‘कमजोरियां’ रहीं, लेकिन राजग सरकार को उन ‘गलतियों’ से सीख लेते हुए ‘विश्वसनीय समाधान’ उपलब्ध कराना चाहिए। उन्होंने कहा कि राजग सरकार की गलतियों से सीखना चाहिए। नीरव मोदी और अन्य लोन बकाएदारों को सार्वजनिक धन लेकर नहीं भागना चाहिए या बैंकों की स्थिति ‘बद से बदतर’ नहीं होनी चाहिए थी।
साढ़े पांच साल का कामकाज देखे सरकार
सिंह ने कहा कि आप (सरकार) साल दर साल यह नहीं कह सकते कि संप्रग ने गलतियां की। सत्ता में आपको साढ़े पांच साल हो चुके हैं। किसी सरकार के अपने सार्वजनिक कल्याण के वादों को पूरा करने के लिए यह पर्याप्त समय होता है। हर बात का दोषारोपण संप्रग पर करने से देश की समस्याओं का कोई समाधान नहीं निकलेगा। अपने 2004 से 2014 के शासन के बारे में सिंह ने कहा, ‘‘जो हुआ सो हुआ, कुछ कमजोरी रही होगी, लेकिन इस सरकार को सत्ता में साढ़े पांच साल हो चुके हैं, इसे हमारी गलतियों से सीख लेनी चाहिए और उन समस्याओं का विश्वसनीय समाधान पेश करना चाहिए जिनका सामना अब भी देश कर रहा है।
किसी को दोष देने से नहीं सुधरेगा देश
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इससे (दोषारोपण) आपको कुछ बढ़त तो मिल नहीं सकती, लेकिन हमारे देश की मानवता जिन समस्याओं से जूझ रही है इससे उसका समाधान नहीं निकलेगा। इससे पहले सिंह ने सरकार के कॉरपोरेट टैक्स में कटौती का स्वागत किया। देश में मांग बढ़ाने के लिए उन्होंने सरकार को अप्रत्यक्ष करों में कटौती करने का सुझाव दिया।
5 ट्रिलियन की इकोनॉमी बनाने पर ध्यान दे सरकार
उन्होंने आर्थिक माहौल में गिरावट के लिये मोदी सरकार पर दोष मढ़ते हुये कहा कि ‘‘राजकाज संचालन में दोहरे इंजन’’ का नमूना असफल हो गया। उन्होंने कहा कि आर्थिक सुस्ती के इस दौर में सरकार की सुस्ती और अक्षमता के कारण लाखों भारतीयों का भविष्य और उनकी आकांक्षाएं प्रभावित हो रहीं हैं। मनमोहन ने कहा कि साल दर साल आर्थिक वृद्धि में गिरावट आ रही है और ऐसे में सरकार के वादे के मुताबिक 2024 तक भारत को पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की उम्मीद पूरा नहीं हो सकती।
ठोस समाधान निकाले सरकार
उन्होंने कहा कि यह सरकार केवल सुर्खियों में रहने में विश्वास करती है और उसके पास कोई ठोस समाधान नहीं है यही सबसे बड़ी समस्या है। मनमोहन ने यह भी कहा कि मुद्रास्फीति को दायरे में व्यवस्थित रखने की एकधुन के कारण कृषि क्षेत्र में कई तरह की समस्यायें खड़ी हो गई हैं। इसकी वजह से महाराष्ट्र आज आत्महत्याओं की राजधानी बन गया है। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से केन्द्र और महाराष्ट्र की भाजपा सरकारें लोगों के भले की नीतियों को अपनाने के लिये तैयार नहीं हैं। महाराष्ट्र में विनिर्माण की वृद्धि दर पिछले चार सालों के दौरान गिरावट में रही है। पुणे सहित महाराष्ट्र के कई हिस्सों में यही स्थिति रही है।