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96 फीसदी वोट के साथ पतंजलि को मिली मंजूरी
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, पतंजलि आयुर्वेद के पक्ष में 96 फीसदी वोटिंग के साथ लेंडर्स ने इस मंजूरी पर अपनी मुहर लगार्इ थी। अब इस अधिग्रहण के साथ ही पतंजलिय आयुर्वेद सोयाबीन तेल व इससे बनने वाले अन्य उत्पादों में एक बड़ी कंपनी बन गर्इ है। दिसंबर 2017 में स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक आैर डीबीएस बैंक की एप्लिकेशंस के बाद रुचि सोया को नेशनल कंपनी लाॅ ट्रिब्युनल में दिवालिया प्रक्रिया के लिए भेज दिया गया था। इस दौरान कंपनी प्रबंधकीय मामलों को देखने आैर दिवालिया प्रक्रिया में मदद करने के लिए शैलेंद्र अजमेरा को रिजाॅल्युशन प्रोफेशनल के तौर पर नियुक्त किया गया था।
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कर्इ बैंकों पर रुचि सोया का कर्ज 9,345 करोड़ रुपए
अडानी विल्मर द्वारा नाम वापस लेने के बाद पतंजलि ही इस बिडिंग में इकलौती बिडर थी। पिछले माह ही पतंजलि ने इस बिडिंग में 200 करोड़ रुपए का इजाफा की थी। इसमें कंपनी को 1,700 करोड़ रुपए का कैपिटल इन्फ्युजन को नहीं जोड़ा गया था। रुचि सोया को वित्तीय क्रेडिटर्स को 9,345 करोड़ रुपए की देनदारी है। कंपनी वित्तीय लेनदारों में भारतीय स्टेट बैंक भी है, जिसके प्रति रुचि सोया की सबसे बड़ी देनदारी है। रुचि साेया की भारतीय स्टेट बैंक के प्रति 1,800 करोड़ रुपए, सेंट्रल बैंक आॅफ इंडिया के प्रति 816 करोड़ रुपए, पंजाब नेशनल बैंक के प्रति 743 करोड़ रुपए आैर स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के प्रति 608 करोड़ रुपए की देनदारी है।
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