अमेजन और रिलायंस के बीच यह बातीचत तब शुरू हुई है, जब कुछ दिन पहले ही अलीबाबा ग्रुप के साथ शुरुआती बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकल सका। अलीबाबा के साथ डील के लिए दोनों कंपनियों में वैल्युएशन को लेकर सहमति नहीं बन सकी। इसके बाद अमेजन ने खुद रिलांयस रिटेल से इस संबंध में संपर्क किया है। अमेजन के प्रवक्ता ने इस मसले पर कोई जवाब देने से मना कर दिया है।
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एफडीआई नियमाें की वजह से अमेजन की रणनीति में बदलाव
गौरतलब है कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश ( FDI ) को लेकर सरकार की फरवरी माह में सख्ती के बाद अब अमेजन घरेलू बाजार में काफी सतर्कता से रणनीति बनाने में जुटा हुआ है। अमेजन अब चाहता है कि वो रिलायंस रिटेल में 26 फीसदी या उससे कम हिस्सेदारी खरीद ले, ताकि उसे भारतीय बाजार में सेलर का दर्जा मिल सके। रिवाइज्ड एफडीआई नियमों के तहत किसी भी सेलर को 26 फीसदी से अधिक की हिस्सेदारी नहीं रखनी होगी। यदि ऐसा होता है तो उस कंपनी को ग्रुप कंपनी का हिस्सा माना जायेगा और सेलर के दर्ज नहीं दिया जायेगा।
2.88 लाख करोड़ रुपये के कर्ज को कम करना चाहती है रिलायंस इंडस्ट्रीज
दोनों दिग्गज कंपनियों की इस डील के पीछे जानकाराें का मानना है कि अमेजन को कंज्यूमर इलेक्ट्राॅनिक्स और मोबाइल फोन्स के कारोबार में रिलायंस रिटेल का प्रदर्शन बेहतर लगा है। वहीं, दूसरी तरफ मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज अपने रिटेल कारोबार और रणनीतिक निवेश के जरिये कंपनी पर कर्ज को कम करना चाहती है। मौजूदा समय में रिलायंस रिटेल पर करीब 2.88 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है।
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तेजी से बढ़ेगा भारत में ई-काॅमर्स रिटेल कारोबार
देश के कुल रिटेल कारोबार में 3 फीसदी कारोबार ई-काॅमर्स प्लेटफाॅर्म के जरिए होता है। डेलाॅयट एंड रिटेलर्स एसोसिएशन आफ इंडिया की कए रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2021 तक यह हिस्सेदारी 7 फीसदी तक बढ़ने वाली है। वहीं, संगठित रिटेल सेक्टर में 9 फीसदी से बढ़कर 18 फीसदी तक हो जाने की उम्मीद है। फ्लिपकार्ट और अमेजन इस सेक्टर में बेहतर कारोबार भी कर रही हैं।