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कोटक महिंद्रा बैंक और आरबीआई की सुनवाई आज
कोटक महिंद्रा और आरबीआई के बीच चल रहे विवाद की की सुनवाई बाम्बे हाईकोर्ट में है। कोटक महिंद्रा बैंक के प्रमोटर ने आरबीआई के एक फैसले के खिलाफ बाम्बे हाईकोर्ट में याचिका डाली थी। वास्तव में मामला कोटक महिंद्रा बैंक में शेयर होल्डिंग को लेकर है। कोटक महिंद्रा बैंक को आरबीआई ने बैंकिंग लाइसेंस देते वक्त शर्त रखी थी कि प्रमोटर को एक निश्चित समय में अपनी शेयर होल्डिंग कम करनी होंगी। आरबीआई ने प्रमोटर्स को समय भी दिया, लेकिन प्रमोटर द्वारा बात ना माने जाने पर फरवरी 2017 में आरबीआई ने कोटक महिंद्रा बैंक को एक टाइमलाइन दे दी। इस टाइमलाइन के तहत प्रमोटर को अपनी शेयर होल्डिंग घटानी थी। दिसंबर 2018 तक घटाकर पेड-अप कैपिटल के 20 फीसदी पर ले आए और 31 मार्च 2020 तक इसे 15 फीसदी तक लाए। जिसके खिलाफ बैंक के प्रमोटर्स ने हाइकोर्ट का रुख कर लिया। खास बात ये है कि आरबीआई के निर्देशों का पालन न करने को लेकर कोटक महिंद्रा बैंक पर 2 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था। आपको बता दें कि 31 दिसंबर 2018 तक कोटक महिंद्रा बैंक के वाइस चेयरमैन और एमडी उदय कोटक की इसमें हिस्सेदारी 29.72 फीसदी थी। उदय कोटक बैंक के प्रमोटर हैं, कोटक महिंद्रा बैंक मार्केट कैपिटलाइजेशन के हिसाब से तीसरा बड़ा प्राइवेट बैंक है।
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शुक्रवार को रतन टाटा और मिस्त्री होंगे आमने सामने
नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल के साइरस मिस्त्री को टाटा ग्रुप के चेयरमैन के तौर पर बहाल करने के आदेश को चुनौती देने वाली टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 10 जनवरी को सुनवाई करेगा। शीर्ष कोर्ट की वेबसाइट पर मामलों की सूची के अनुसार, मामले को प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया है। इस पीठ में न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी शामिल हैं। टीएसपीएल ने एनसीएलएटी के 18 दिसंबर के फैसले को चुनौती दी है। यह फैसला मिस्त्री के पक्ष में है और उन्हें टीएसपीएल के कार्यकारी चेयरमैन के तौर पर बहाल किया गया है। टाटा ने अपनी याचिका में कहा कि यह आदेश कॉरपोरेट लोकतंत्र व बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के अधिकारों को भी कमजोर करता है। आपको बता दें कि रतन टाटा के रिटायरमेंट के बाद साइरस मिस्त्री को टाटा ग्रुप क बागडोर सौंप गई थी। 2012 में साइरस के हाथों में कमान आने के बाद विवाद बढऩे शुरू हो गए। 2016 में साइरस मिस्त्री को ग्रुप के सभी पदा से हटा दिया गया था। उसके बाद साइरस मिस्त्री एनसीएलएटी में मामले को सामने रखा था।