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IIT ने नहीं दिया दाखिला जो विदेश जाकर पूरी की पढ़ार्इ
दृष्टिहीन हाेने की वजह से बचपन से श्रीकांत को तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ा। लेकिन दिल में फौलाद लिए श्रीकांत आगे बढ़ते गए। जब IIT ने उन्हें दाखिला देने से मना कर दिया तो वो विश्वप्रसिद्घ MIT से इंजिनीयरिंग डिग्री हासिल की। साल 2012 में अपनी डिग्री पूरी करने वाले श्रीकांत भारत लौटकर बोलैंट नाम की एक कंपनी की शुरुआत की। आज इस कंपनी के सात मैन्युफैक्चरिंग र्इकार्इ है। ये कंपनी अांध्र प्रदेश, तेलांगना आैर कर्नाटक में पत्तियों आैर इस्तेमाल हो चुके कागज से इको-फ्रेंडली पैकेजिंग तैयार करती है। अपने स्थापना के बाद से ही ये कंपनी प्रति माह 20 फीसदी की दर से विकास कर रही है। इस प्रकार ये कंपनी अपनी 7 फैक्ट्रियों से हर माह 10 करोड़ रुपये की बिक्री करती है।
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दिग्ग्ज कारोबारियों ने किया है श्रीकांत की कंपनी में निवेश
इस कंपनी के पास अपना जबरदस्त रिटेल चने है। पिछले साल सितंबर माह में इस कंपनी की कुल वैल्यू 413 करोड़ रुपये आंकी गर्इ थी। आने वाले सालों में श्रीकांत इसे 1,200 करोड़ रुपये की कंपनी के तौर पर देखना चाहते हैं। उनको उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष के अंत में उनकी कंपनी का कुल टर्नआेवर 150 करोड़ रुपये हो जाएगी। फिलहाल बोलैंट में करीब 600 कर्मचारी काम करते हैं। इन कर्मचारियों की सबसे खास बात ये है कि इनमें 40-50 फीसदी कर्मचारी डिफरेंटली एबल्ड हैं। श्रीकांत की इस कंपनी में उद्योग जगत के कर्इ दिग्गजों ने निवेश किया है। इस लिस्ट में रतन टाटा , सतीश रेड्डी, एस पी रेड्डी, श्रीनि राजू, चलामला सेट्टी अौर रवि मांथ जैसे दिग्ग्ज कारोबारी शामिल हैं।
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फोर्ब्स ने भी अपनी लिस्ट में दे चुकी है जगह
साल 2017 में मशहूर पत्रिका फोर्ब्स मैगजीन ने उन्हें एशिया के 30 साल से कम उम्र के टाॅप 30 कारोबारियों की लिस्ट में जगह दी थी। इस लिस्ट में श्रीकांत बोला इकलौते भारतीय थे। श्रीकांत ने दृष्टिहीन लोगों के लिए ब्रेल प्रिटिंग प्रेस की स्थापना भी की है। यहां दृष्टिहीन बच्चो के लिए पढ़ार्इ हेतु मैटेरियल उपलब्ध कराता है।