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बेटे के पास आएंगे यह कारोबार
सूत्रो की मानें तो वेव ग्रुप के बंटवारे की प्लानिंग एजेडबी एंड एसोसिएट्स नाम की लॉ फर्म कर रही है। जानकारी के अनुसार मनप्रीत को ग्रुप के 64 फीसदी में रियल एस्टेट कारोबार, ज्यादातर चीनी मिलें, मॉल और बेवरेज प्लांट्स मिलेंगे। जमीन सहित रियल एस्टेट बिजनस की कुल वैल्यू 9,000 करोड़ रुपये है।’ ग्रुप के पास उत्तर प्रदेश में सात चीनी मिलें हैं। पंजाब के अमृतसर में ग्रुप का बेवरेज प्लांट है, जो कोका कोला इंडिया की 9 फ्रेंचाइजी में से एक है। लुधियाना और जम्मू को छोड़कर सारे मॉल मनप्रीत को मिलेंगे।
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भाई को मिलेगी इन कारोबार में हिस्सेदारी
वहीं बात राजिंदर चड्ढा की करें तो 36 फीसदी बिजनस में शराब कारोबार शामिल है। शराब कारोबार में डिस्ट्रीब्यूशन, डिस्टिलरी और ब्रुवरीज बिजनेस होगा। साथ ही उन्हें नोएडा सेक्टर 18 स्थित 41 मंजिला इमारत ‘वेव वन’ भी दिया जाएगा। जिसमें 20 लाख वर्ग फुट का बिल्ट-अप एरिया है। शराब कारोबार में उत्तर प्रदेश और पंजाब में बड़ा डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क शामिल है। इसमें दो डिस्टिलरी और एक ब्रुवरी शामिल है। फिल्म प्रॉडक्शन और वितरण कारोबार भी उन्हें ही दिया जाएगा। पंजाब में एक चीनी मिल और पेपर मिलें मिलेंगी। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में भी एक डिस्टिलरी और ब्रुवरी प्लांट है, जिसे वेव डिस्टिलरीज ऐंड ब्रुवरीज ऑपरेट करती है। कंपनी ने इसकी 80 पर्सेंट कैपेसिटी के लिए देश की सबसे बड़ी बीयर कंपनी यूनाइटेड ब्रुवरीज के साथ समझौता किया हुआ है। यूनाइटेड ब्रुवरीज के पास किंगफिशर ब्रांड का मालिकाना हक है।
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1963 में शुरू हुई थी शुरुआत
वैसे वेव ग्रुप ने इस मामले में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया है। वहीं राजिंदर चड्ढा के प्रवक्ता ने इस खबर की पुष्टि करते हुए जानकारी दी है कि ग्रुप के बंटवारे को लेकर कोई विवाद नहीं है। दोनों पक्ष इसके लिए समझौते पर दस्तखत भी कर चुके हैं। आपको बता दें कि 1963 में शराब वितरण कंपनी के तौर कुलवंत सिंह चड्ढा ने इस कारोबार की शुरुआत की थी। पोंटी चड्ढा के दौर में वेव ग्रुप का बिजनस अलग-अलग सेक्टर्स में आगे बढ़ा। वेव ग्रुप का कारोबार शुगर मैन्युफैक्चरिंग, डिस्टिलरी और ब्रुवरी, इंफ्राटेक (रियल एस्टेट), बेवरेजेज, एजुकेशन और एंटरटेनमेंट क्षेत्रों में फैला हुआ है।
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