ललितपुर

न्यायलय के आदेश को बनाया मजाक, रात भर ब़जता रहा लाउडस्पीकर

माननीय उच्चतम न्यायालय का एक आदेश जो अनेक बर्षों तक सरकारी फाईलों में अल्पसंख्यक तुष्टिकरण के चलते दबाये रहा था ।

ललितपुरApr 02, 2018 / 02:00 pm

आकांक्षा सिंह

ललितपुर. माननीय उच्चतम न्यायालय का एक आदेश जो अनेक बर्षों तक सरकारी फाईलों में अल्पसंख्यक तुष्टिकरण के चलते दबाये रहा था । जब प्रदेश में योगी सरकार के बनते और जनता को रात्रि समय तेज ध्वनि प्रदूषण के कारण हो रही परेशानियों को मद्देनजर रखते हुये उच्चतम न्यायालय के आदेश का सन्दर्भ लेते हुये और जनता को हो रही ध्वनि प्रदूषण से परेशानियों से निजात दिलाने की मंशा से प्रदेश की योगी सरकार ने अहम निर्णय लेते हुये रात्रि 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर और तेज ध्वनि यत्रों पर पूर्ण प्रतिबन्धित करते हुये इसके अनुपालन में आदेश पारित किया था ।

जिसको जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के अधिकारियों ने खुद तामील भी करवाया था तथा थानों में बैठक बुलाकर पीस कमेटी में सभी को अवगत भी कराया था । इसमें रात्रि 10 बजे के बाद शादी बरातों से लेकर सभी धार्मिक स्थलों पर सुबह 6 बजे तक ध्वनि यंत्रों के बजाने पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाया गया है। जिसका असर प्रारंभ में तो जनपद में देखने को मिला यहां तक की प्रशासनिक कार्यक्रम देवगढ़ ललितपुर महोत्सव भी समय अवधि के अनुपालन में कराया गया और अभी कुछ दिनो पूर्व साई भक्तों दुबारा वार्षिक साई पालकी भ्रमण और रात्रि जागरण तुवन मन्दिर के प्रांगण में आयोजित किया गया था । उसमें जनपद के आला अधिकारियों ने पहुंच कर रात्रि 10 बजे कार्यक्रम बन्द करा दिया था वहां पर तो आयोजकों ने मौके पर पहुंचे। अधिकारियों पर जूते पहन कर मंच पर चढ़ने और अभद्रता करने का भी आरोप लगाया था।


क्या हुआ तेरा वादा

आज वही पुलिस और वही जिला प्रशासन अपने बाड़े से मुकरता हुआ नजर आ रहा है, जो 100 वें उर्स की कमान स्वयं सभाले है जिसके अध्यक्ष अपर जिलाधिकारी और सचिव उप जिला अधिकारी नामित है और जिसकी अनुशासन समिति में सदर क्षेत्राधिकारी हैं । ऐसा भी नही है कि जनपद के आलाधिकारी मुशायरे में मौजूद नहीं थे । बल्कि पूरे जनपदीय आलाधिकारियों के सामने योगी सरकार की मंशा अनुरूप लिये गये निर्णय और माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश का जम कर खुले आम मजाक बनाया गया । पूरी रात करीबन साढ़े तीन तक मुशायरा चलता रहा। किसी ने भी आयोजक मंडल को सरकारी आदेश की याद नहीं दिलाई। अब देखने वाली बात यह होगी कि 31 से 4 अप्रेल तक चलने वाले इस उर्स में तुष्टिकरण की राजनीति सफल होती है या माननीय उच्चतम न्यायालय का आदेश लागू होता है और यह सब जिले के आला अधिकारियों पर निर्भर है ।

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