ललितपुर

कोरोना को दे चुके हैं मात तो प्लाजमा डोनेट करने से न घबराएं, जानें कौन और कैसे कर सकता है दान

Covid Plasma Donation Process प्लाज्मा देकर बचाएं जिंदगियां, कोरोना पीड़ित गंभीर मरीजों को दी जाती है प्लाज्मा थेरेपी.

ललितपुरApr 22, 2021 / 08:58 pm

Abhishek Gupta

Plasma donation process

पत्रिका न्यूज नेटवर्क.
ललितपुर. covid plasma donation process कोरोना वायरस (coronavirus in up) अपना रौद्र रूप दिखा रहा है। संक्रमण की दूसरी लहर पूरे देश के साथ ही जिले के लिए भी घातक साबित हो रही है। बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हो रहे हैं। इस बीच कई बुनियादी चीज़ों की मांग बढ़ी है। दवाओं के साथ ही वेंटिलेटर और ऑक्सीजन की लोगों को ज़रूरत पड़ रही है। इसी के साथ ही कोरोना पर जीत हासिल कर चुके मरीजों के प्लाज्मा (Plasma) की भी मांग बढ़ी है। यह पाया गया है कि प्लाज़्मा (Plasma) से कोरोना संक्रमितों की जान बचाई जा सकती है। प्लाज्मा बनाया नहीं जा सकता, यह सिर्फ डोनेट (Plasma Donation) ही किया जा सकता है। बहुत लोग जो संक्रमण से ठीक हो चुके हैं और वह प्लाज्मा देने में सक्षम हैं, लेकिन देखा जा रहा है कि वे आगे नहीं आ रहे।
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इसलिए पड़ रही प्लाज्मा की ज़रूरत-
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. हुसैन खान बताते हैं कि कोरोना के मरीज़ जिनको हल्के लक्षण हैं| उनका इलाज होम आइसोलेशन में रह कर किया जाता है और गंभीर मरीजों को अस्पताल में भर्ती करते हैं। ख़ास कर उन्हें जो डायबिटीज और ब्लड प्रेशर के मरीज़ हैं| गंभीर कोरोना पीड़ित को बचाने का एक उपाय प्लाज्मा है| प्लाज़्मा सिर्फ उन्हीं से दान में मिल सकता है, जो पहले कोरोना से संक्रमित होकर ठीक हो चुके हैं|
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जानिए क्या है प्लाज्मा-

हमारे शरीर में खून कई चीजों से बनता है। खून में 55 प्रतिशत प्लाज्मा होता है बाकि 45 प्रतिशत रेड ब्लड सेल्स, वाइट ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स होते हैं| खून में मौजूद प्लाज्मा शरीर का ब्लड प्रेशर सामान्य करता है, खून के थक्के और इम्युनिटी भी प्रदान करता है, सोडियम और पोटैशियम को मस्पेशियों तक पहुंचाता है| शरीर का पीएच लेवल बनाये रखता है जो सेल्स के लिए बहुत महत्वपूर्ण है|
कैसे दान किया जाता है प्लाज्मा:-
कोरोना से ठीक हुए लोगों के शरीर में एंटी बॉडी बन जाती है। एंटी बॉडी एक प्रकार का प्रोटीन होता है। रोग पैदा करने वाले रोगजनकों को पहचानकर उनसे लड़ते हैं। इस प्रक्रिया में पूर्व में संक्रमित हो चुके शख्स का एंटीबाडी चेकअप होता है| प्रयोगशाला में डॉक्टर की देख रेख में खून से प्लाज्मा को अलग किया जाता है जिसमें वायरस से लड़ने वाली एंटीबाडी शामिल होती हैं। प्लाज्मा निकाल इसे संक्रमित व्यक्ति में ट्रांस्फर किया जाता है। यह संक्रमित व्यक्ति के शरीर में पहुँच कर रोग से लड़ने में मदद करता है। रोगी में संक्रमण से लड़ने की क्षमता विकसित करने में मदद करता है।
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डोनर किसी अन्य बीमारी से ग्रसित न हो-

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी कहते हैं कि 18 से 60 वर्ष के आयु वर्ग के लोग जो कोरोना संक्रमण से पिछले तीन महीने में उबर चुके हैं और उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई है। वह बिना किसी डर के प्लाज्मा दान कर सकते हैं। इससे उनके शरीर पर कोई असर नहीं पड़ेगा। डोनर को किसी अनुवांशिक या गंभीर रोग से ग्रसित नहीं होना चाहिए। उन्होंने बताया कि जिले में प्लाज्मा दान करने की सुविधा नहीं है। इसके लिए झाँसी मेडिकल कॉलेज रेफर किया जाता है। जैसे लोग ब्लड डोनेट करने के लिए आगे आते हैं, वैसे ही अब लोगों को प्लाज्मा डोनेट करने को आगे आना होगा। यह समय बहुत गंभीर है। जितना हो सके लोग जरूरतमंद को प्लाज्मा डोनेट करें और जान बचाएं।
रात भर जाग कर देने गये प्लाज्मा
26 वर्षीय अम्बर जैन दिसम्बर 2020 में कोविड पॉजिटिव हुए थे, अप्रैल माह में अन्नपूर्णा समिति द्वारा जब उन्हें खबर मिली कि कोरोना संक्रमित को प्लाज्मा की ज़रूरत है, वह रात में ही झाँसी को रवाना हुए और रात 2 बजे एंटीबाडी रिपोर्ट आने के बाद प्लाज्मा दान किया। वह बताते हैं इस वक्त संक्रमितों को प्लाज्मा की सख्त ज़रूरत है। इसके लिए जो संक्रमित हो चुके हैं, वह आगे आकर स्वेच्छा से प्लाज्मा दान कर किसी की जान बचाएं।

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