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ललितपुर

बारिश और ओलावृष्टि से फसलों को बचाने के लिए एडवाइजरी जारी

यूपी में इस वक्त मौसम हर पल बदल रहा है। झमाझम बारिश हो रही है। ओले गिर रहे हैं। कई जिलों में ओलावृष्टि चना, मटर, मसूर, दलहन जैसी फसलों को भारी खतरा पैदा हो गया है। किसान परेशान हैं कि फसल बच जाएगी कि नहीं। इस वक्त बारिश और ओलावृष्टि से बचाने के लिए कृषि विभाग आगे आया। खराब मौसम के चलते फसलों की सुरक्षा के लिए कृषि विभाग ने एक एडवाइजरी जारी की है।

ललितपुरJan 09, 2022 / 11:23 am

Sanjay Kumar Srivastava

बारिश और ओलावृष्टि से फसलों को बचाने के लिए एडवाइजरी जारी

बारिश और ओलावृष्टि से फसलों को बचाने के लिए एडवाइजरी जारी

ललितपुर. यूपी में इस वक्त मौसम हर पल बदल रहा है। झमाझम बारिश हो रही है। ओले गिर रहे हैं। कई जिलों में ओलावृष्टि चना, मटर, मसूर, दलहन जैसी फसलों को भारी खतरा पैदा हो गया है। किसान परेशान हैं कि फसल बच जाएगी कि नहीं। ठंड और कुहरा गेहूं की फसल के लिए अमृत की तरह है। पर जिन किसानों ने अपने खेत में पानी लगा दिया था उनकी हालात पतली हो गई है। कहीं अधिक पानी की वजह से गेहूं खराब न हो जाएं। ललितपुर और आस-पास के किसान इस वक्त चिंता में डूबे हैं। इस वक्त बारिश और ओलावृष्टि से बचाने के लिए कृषि विभाग आगे आया। खराब मौसम के चलते फसलों की सुरक्षा के लिए कृषि विभाग ने एक एडवाइजरी जारी की है।
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बारिश और ओलावृष्टि से बचाव के लिए कृषि विभाग की एडवाइजरी जारी

कृषि विभाग ने जारी एडवाइजरी में बताया कि, लगातार वर्षा से अनावश्यक जलभराव खेतों में कही भी न होने दे। जलभराव होने से फसलों को नुकसान हो सकता है।
खेत के चारों ओर धुआं करें

शीतलहर के प्रकोप से फसलों पर पाला एवं कीट/रोगों का प्रकोप होने की सम्भावना बढ़ जाती है। खेतों तापमान शून्य डिग्री से नीचे जाने पर फसलों को पाले से बचाने के लिए खेत के चारों ओर धुआं कर तापमान में वृद्धि करें। इस प्रक्रिया से फसलों को पाले से होने वाली क्षति से बचाया जा सकता है।
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फसल को पाले से ऐसे बचाएं

पाले पड़ने की सम्भावना होने पर फसलों में एक प्रतिशत गंधक घोल का छिड़काव करना चाहिए। इसके लिए 8 लीटर, गंधक तेजाब की 1000 लीटर पानी में घोलकर एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में छिडकाव करें। पौधों पर घोल का छिड़काव अच्छी तरह से करें। इस छिडकाव का असर दो सप्ताह तक रहता है। यदि इस अवधि के बाद भी शीतलहर एवं पाले की सम्भावना रहती है। तो गंधक के तेजाब को 15-15 दिन के अन्तराल पर छिडकाव करें। सल्फर 80 प्रतिशत घुलनशील पाउडर की 3 किलोग्राम मात्रा एक एकड़ में छिड़काव करने के बाद सिंचाई की जाए। अथवा सल्फर 80 प्रतिशत घुलनशील पाउडर को 40 ग्राम/15 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव किया जाए।
फसलों पर कीट/रोग का प्रकोप ऐसे दूर करें

यदि फसलों पर कीट/रोग का प्रकोप दिखाई देता है तो माहू के लिए डाईमिथोएट 30 प्रतिशत ईसी रसायन की मात्रा एक लीटर मात्रा या इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एसएल की 250-300 एमएल मात्रा को 500-600 लीटर पानी प्रति हेक्टेयर के दर से छिडकाव करें एवं इल्ली(सेमीलूपर), कटवर्म एवं फली भेदक कीट के नियत्रंण के लिए क्यूनाॅलफाॅस 25 प्रतिशत ईसी 1.2 लीटर मात्रा या इमामैक्टीन बैंजोएट 5 प्रतिशत एसजी की 200-250 ग्राम मात्रा को 600-700 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेअर में छिड़काव करने से बचाव किया जा सकता है।
कार्बेन्डाजिम मैंन्कोजेब करें छिड़काव

साथ ही दलहनी फसलों को फफूंदी जनित रोगों जैसे पाउडरी मिलड्यू एवं डाउनी मिलड्यू एवं आर्द्र गलन से बचाने के लिए कार्बेन्डाजिम मैंन्कोजेब की एक किग्रा मात्रा को 500-600 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेअर में छिड़काव करें।
खेत के चारों तरफ लगाए पेड़

फसलों को पाले से बचाने के लिए खेत के उत्तर-पश्चिम मेंड पर तथा बीच-बीच में उचित स्थान पर वायुरोधक पेड़ जैसे-शहतूत, शीशम, बबूल, खेजडी, आडू तथा जामुन आदि लगाये जाए तो सर्दियों में पाले व ठंडी हवा के झोकों से भी फसलों को बचाया जा सकता है।

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