101 रुपये किराए पर दिया राजमहल 1928 में ओयल रियासत के राजा युवराज दत्त सिंह ने अपने राजमहल को डीएम को किराए पर दिया था। जिसके एवज में उन्हें 101 रुपये किराया भी मिलता था। जिसके तकरीबन 30 साल के बाद जब डीड में परिवर्तन किया तो उस समय दस्तावेजों की कमी की वजह से राजमहल का खसरा नंबर कहीं गायब हो गया। 1984 में युवराज दत्त सिंह के निधन के बाद जब राज परिवार ने राजमहल के किराए को लेकर जिला प्रशासन से बात की तो जिला प्रशासन ने राज परिवार से राजमहल के मूल दस्तावेज मांगे। जिला प्रशासन द्वारा मांगे गए राजमहल के दस्तावेजों की काफी खोजबीन के बाद जब रिकॉर्ड रूम नहीं मिले तो राज परिवार ने दस्तावेजों के तलाशने का दूसरा तरीका ढूंढा।
डीएम आवास पर किया दावा राजमहल के लोगों ने आरटीआई का सहारा लिया। मामले में आरटीआई एक्टिविस्ट सिद्धार्थ नाथ नारायण सिंह ने आरटीआई फाइल की। आरटीआई मांगने के एक साल के बाद राजघराने के पौत्र प्रदुम नारायण सिंह को सीतापुर से ये जानकारी मिली कि जिलाधिकारी का आवास ही राजा ओयल की रियासत है। दस्तावेज मिलने के बाद अब राजमहल के लोगों ने डीएम आवास पर अपना दावा किया है।