लखीमपुर खेरी

लखीमपुर खीरी हादसे में घायल बच्चे को देख फूट-फूटकर रोई कमिश्नर रोशन जैकब, लोग बोले- अधिकारी हो तो ऐसी

लखीमपुर खीरी में हुए भीषण सड़क हादसे के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर डीएम से लेकर तमाम अधिकारी मौके पर पहुंचे। वहीं, कमिश्नर रोशन जैकब सीधे जिला अस्पताल पहुंचीं। जहां वह एक घायल बच्चे को देख फफक-फफक कर रो पड़ीं। यह देख वहां मौजूदा लोग हैरान रह गए।

लखीमपुर खेरीSep 29, 2022 / 09:50 am

lokesh verma

लखीमपुर खीरी में हुए भीषण सड़क हादसे में बुधवार को 10 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी और दो दर्जन से अधिक बस यात्री घायल हो गए थे। हादसे की जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आला अधिकारियों को मौके पर पहुंचकर घायलों के इलाज के लिए बेहतर व्यवस्था के निर्देश दिए थे। इसके बाद डीएम से लेकर तमाम अधिकारी मौके पर पहुंचे और राहत कार्य तेजी चलवाकर घायलोंं को अस्पताल भिजवाया। वहीं, कमिश्नर रोशन जैकब सीधे जिला अस्पताल पहुंचीं। जहां वह एक घायल बच्चे को देख फफक-फफक कर रो पड़ीं। उन्होंने रोते हुए ही मौजूदा अधिकारियों को बेहतर से बेहतर इलाज कराने के निर्देश दिए। शायद यह एक मां का दर्द ही था कि वह बच्चे की हालत देख अपनी आंखों से बहते आंसुओं को रोक न सकीं। यह देख वहां मौजूद लोग भी हैरान रह गए और कहने लगे कि अधिकारी हो तो ऐसी, जो आम लोगों के दर्द को अपना दर्द समझे।
लखीमपुर खीरी स्थित पीलीभीत बस्ती राष्ट्रीय राजमार्ग पर हुए हादसे में बस सवार 10 लोगों की मौत हो चुकी है और दो दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए हैं। जैसे ही इसकी जानकारी कमिश्नर डॉ. रोशन जैकब को मिली तो वह तत्काल लखीमपुर पहुंच गईं। उन्होंने जिला अस्पताल पहुंचकर घायलों से बातचीत की। इसके बाद कमिश्नर दो दिन पहले वाजपेयी गांव में हुए हादसे मेें घायल एक बच्चे को देखने उसके बिस्तर तक जा पहुंचीं। बच्चे की तकलीफ देख कमिश्नर अपनी आंखों के आंसू नहीं रोक सकीं और फूट-फूटकर रोने लगीं। बच्चे के प्रति कमिश्नर की संवेदना देख हर कोई स्तब्ध रह गया। मौजूद लोगों ने कहा अधिकारी हो तो ऐसी, जो आम लोगों के दर्द को भी अपना दर्द समझे।
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गमगीन माहौल के बीच अंतिम संस्कार

बता दें कि धौरहरा में 10 लोगों की मौत के बाद से मातम पसरा है। देर शाम तक तीन लोगों के शव उनके घर पहुंच चुके थे। जिसके बाद परिजनों में हाहाकार मच गया। इसके बाद बेहद गमगीन माहौल में अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम संस्कार के दौरान सभी ग्रामीणों की आंखे नम थीं।
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परिवार में नहीं बचा कोई पुरुष

फत्तेपुरवा के रहने वाले सुरेंद्र के परिवार में अब कोई पुरुष नहीं बचा है। अब परिवार में सिर्फ महिलाएं और बच्चे हैं। गुरुवार सुबह भी गांव में हर कोई मायूस नजर आया। पीड़ित परिजनों को सांत्वना देने वाले लोगों तांता लगा रहा।

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