दरअसल, बीते दिनों शादी अनुदान योजना में कुछ अपात्रों के नाम जोड़े जाने की बात सामने आई थी। बड़े स्तर पर गड़बड़ी पाए जाने के बाद तय हुआ कि अब बहुस्तरीय जांच के बाद ही योजना से संबंधित कार्य आगे बढ़ाया जाएगा। शादी अनुदान और पारिवारिक लाभ योजना में 1500 से अधिक लाभार्थी अपात्र पाए गए हैं। तीन करोड़ से अधिक का गबन हुआ है। यह घोटाला लेखपालों की लापरवाही से हुआ क्योंकि उन्होंने अपने कारीगरों से ही फार्मों का सत्यापन कराया और आगे बढ़ा दिया। कानूनगो, नायब तहसीलदार, तहसीलदार और एसडीएम ने भी आंख मूंदकर फार्मों को सत्यापित किया। भविष्य में ऐसी गलती न हो इसके लिए डीएम आलोक तिवारी ने सीडीओ को विशेष कार्ययोजना तैयार करने के लिए कहा है। अब से नायब तहसीलदार, तहसीलदार, एसडीएम और सीडीओ खुद ही जांच करेंगे। अगर किसी अपात्र को लाभार्थी बनाते पकड़े गए तो उनपर मुकदमा होगा।