कोटा यूआईटी ने सरकार को किया गुमराह, करोड़ों की जमीन पर बसा दी अवैध कॉलोनी
राजस्थान के दर्जन भर विश्वविद्यालयों में चल रहे पत्राचार के पाठ्यक्रमों को खत्म कर प्रदेश सरकार ने वर्ष 1987 में कोटा में वीएमओयू की स्थापना की थी। विवि प्रशासन ने प्रदेश के सात बड़े शहरों कोटा, जयपुर, जोधपुर , बीकानेर , उदयपुर , अजमेर और भरतपुर में रीजनल सेंटर खोले, लेकिन दूर दराज के गांवों से इन सेंटर्स तक पहुंचना मुश्किल होने के कारण स्थापना के ढाई दशक में दाखिलों का आंकड़ा सालाना 5 से 7 हजार छात्रों तक ही सिमटा रहा।
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हर घर तक बनी पहुंच
प्रो. विनय पाठक को जब वीएमओयू का कुलपति बनाया तो उन्होंने डिजिटलाइजेशन के जरिए विवि की पहुंच हर घर तक बनाने का काम किया। दाखिला प्रक्रिया ऑनलाइन की। यहां भी जब गांवों तक इंटरनेट की पहुंच सीमित होने से परेशानी आई तो उन्होंने ई मित्रों के जरिए प्रवेश प्रक्रिया शुरू कराई। इसका फायदा यह हुआ कि पांच साल से वीएमओयू हर शैक्षणिक सत्र में दाखिलों का नया रिकॉर्ड कायम कर रहा है। जुलाई 2013 सत्र में जहां 22,665 छात्रों ने दाखिला लिया था। वहीं जुलाई 2017 सत्र में छात्रों की संख्या चौगुनी यानि 85,882 हो गई। इसमें से 99.99 फीसदी दाखिले ऑनलाइन ही लिए गए हैं।
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ढाई लाख का लक्ष्य
वीएमओयू के कुलपति प्रो. अशोक शर्मा ने बताया कि दाखिलों के इस आंकड़े को ढाई लाख तक ले जाने में जुटे हैं। बच्चों को हर जानकारी उनके मोबाइल पर उपलब्ध कराई जा रही है। विवि हर सत्र में 15 लाख से ज्यादा मैसेज करता है। दाखिला होते ही बच्चे को किताबें भेजी जा रही हैं। उन्हें ट्रेक करने के लिए भी ऑनलाइन डॉकेट ट्रेकिंग की सुविधा दी जा रही है। वीएमओयू के कामकाज में कागज का इस्तेमाल लगभग बंद ही है।