छात्रों का जितना विश्वास गुरुजनों पर रहता है। उससे कई गुना अधिक विश्वास विश्वविद्यालय की शिक्षण व्यवस्था, परीक्षा व्यवस्था की पारदर्शिता पर रहता है। लेकिन विवि प्रबंधन द्वारा ही छात्र के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर दिया जाए तो उसे क्या कहेंगे। ऐसा ही एक मामला कोटा विवि का सामने आया है। जहां एक छात्रा को विवि प्रबंधन ने एक अंक देकर फेल कर दिया। छात्रा ने कॉपी दुबारा जंचवाई तो 49 अंक आए। फिजिक्स में भी जांच करवाने पर 30 अंक निकले। मामला तो अति गंभीर जब हुआ तब छात्रा अंक संशोधन के लिए विवि के परीक्षा नियंत्रण के पास पहुंची तो वहां से जबाव मिला कि जांच कमेटी गठित कर मामले की जांच कराएंगे। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर संशोधित अंक तालिका जारी की जाएगी।
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यह था मामला छात्रा चंद्र प्रकाशी पुत्र ब्रजमोहन बैरवा कोटा विश्वविद्यालय की बीएससी का नियमित विद्यार्थी है। जिसने वर्ष 2017 में बीएससी द्वितीय वर्ष की परीक्षा दी। परीक्षा के बाद आए परिणाम के आधार पर केमेस्ट्री के अंकों से तो वह संतुष्ठ हो गई, लेकिन मार्कशीट में फिजिक्स व मैथेमटिक्स के अंक देख कर पैरों तले जमीन खिसक गई। छात्रा को विश्वास ही नहीं हुआ कि उसके एक अंक आएगा। चंद्र प्रकाशी ने सूचना के अधिकार के तहत उत्तर पुस्तिका की दुबारा जांच कराई तो 49 अंक आए। फिजिक्स में भी पूर्व में 0 दिए पर जांच करवाने पर 30 अंक आए। छात्रा ने बताया कि अंक संशोधान के लिए वे विवि के चक्कर काट रहे हैं लेकिन हर बार उसकी बात को टाला जा रहा है। यह भी पढ़ें