bell-icon-header
कोटा

अनूठा पार्क : जहां अपनों की याद में बस गया यादों का जंगल, लोग पेड़ों की करते हैं पूजा-अर्चना

Dehdan Park Kota : यह पार्क बिछड़े रिश्तों का सजीव स्मारक है, जहां हर पत्ता, हर शाखा किसी न किसी की यादों की कहानियां सुनाती है।

कोटाSep 24, 2024 / 01:32 pm

Alfiya Khan

Dehdan Park Kota : अभिषेक गुप्ता। परिजनों और खास लोगों को स्मृतियां हमेशा यादों में रहती हैं। उनके रहते हुए भी और उनके चले जाने के बाद भी। ऐसी ही यादों निशानियों को खुद में सहेज रहा है कोटा का देहदान पार्क। देहदान पार्क में शहरवासियों ने अपने दिवंगत परिजनों की स्मृतियों में कई पौधे बसंत लगाए, जो आज पेड़ का रूप ले चुके हैं और अपने-परायों को सुकून भरी छांव देने के साथ पर्यावरण संरक्षण भी कर रहे हैं। श्राद्ध पक्ष में ये पेड़ अपने परिजनों के प्रति अगाध श्रद्धा के भी गवाह है। लोग यहां आकर इन पेड़ों की पूजा कर रहे हैं।

बिछड़े रिश्तों का सजीव स्मारक है पार्क

कोटा के तीन बत्ती सर्कल पर स्थित देहदान पार्क में लोगों ने अपनों की स्मृति में सैकड़ों पौधे लगा दिए, जो अब स्मृतियों के रूप में लहलहा रहे हैं। अब घने पेड़ अपनों को आशीर्वाद दे रहे हैं। पितृ पक्ष में लोग यहां अपने पूर्वजों के प्रतीक स्वरूप इन पेड़ों की आराधना करते हैं। यह पार्क बिछड़े रिश्तों का सजीव स्मारक है, जहां हर पत्ता, हर शाखा किसी न किसी की यादों की कहानियां सुनाती है।
यह भी पढ़ें

भजनलाल सरकार की बड़ी सौगात, बेटी के जन्म से लेकर पढ़ाई करने तक मिलेगें 1 लाख रुपये, जानिए कैसे

पूर्वजों की याद में करते हैं सर्व शांति यज्ञ

पार्क के संचालक और लॉयंस क्लब कोटा नॉर्थ चैरिटेबल सोसायटी के अध्यक्ष वरुण रस्सेवट ने बताया कि वर्ष 2018 में नगर निगम के सहयोग से देहदान पार्क को गोद लिया था। इसके बाद लोग अपनों की स्मृति में यहां स्मारिका पट्टी में बेहदानियों के नाम लिखवाते हैं। उसके बाद उनके नाम का एक पौधा लगाते हैं।
साढ़े 3 बीघा में फैले इस पार्क में अब तक करीब 850 पौधे लगाए जा चुके हैं। ये पौधे अब 15 से 40 फीट तक लंबे हो चुके हैं। यहां शहर के कई लोगों ने अपने पूर्वजों की स्मृति में पौधे लगाए हैं। साल में यहां लौग चार बार पूजा करने आते हैं। स्मारक में कैंडल और दीपक जलाते हैं। कुछ लोग पूर्वजों की याद में सर्व शांति यात्रा करते हैं। सर्वधर्म प्रार्थना सभा होती है।

पेड़ में अपने पिता की स्मृति को देखते हैं

पार्क की संस्था की महासचिव दीपिका सिंह बताती हैं कि देहदान पार्क में लोग आकर अपनों की स्मृतियों को सजाते हैं। जब भी लोग इधर से गुजरते हैं तो कुछ देर पार्क में रुककर उस पेड़ में अपने पिता की स्मृति को देखते हैं। पितृपक्ष में भी यहां आकर आराधना करते हैं।

याद आती है तो चले आते हैं

श्रीपुरा निवासी हरिशंकर शर्मा ने बताया कि उनके भाई मुकुट बिहारी सेवानिवृत्त अध्यापक रहे। उनका देहदान हुआ था। देहदान के बाद पार्क में उनका नाम स्मारिका पट्टी पर लिखा गया। उनकी याद में पौधा लगाया, जो आज पेड़ बन चुका है। उससे अटूट भावना जुड़ी हुई। मैं अक्सर यहां जाता हूं।
यह भी पढे़ं : सुप्रीम कोर्ट के आदेश का असर : सरिस्का व नाहरगढ़ सेंचुरी की जमीन का शुरू होगा म्यूटेशन, जानिए पूरा मामला

Hindi News / Kota / अनूठा पार्क : जहां अपनों की याद में बस गया यादों का जंगल, लोग पेड़ों की करते हैं पूजा-अर्चना

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.