राणा प्रताप सागर बांध में एकत्र होनी वाली गाद, कीचड़ की निकासी के लिए बने चार स्लूज गेट जंग खा जाने से 32 साल से नहीं खोले जा सके। गत वर्ष अगस्त में इमरजेंसी गेट को स्लूज गेटों के पीछे बांध के जलाशय में उतारने का प्रयास किया गया। लेकिन, उनमें आई खराबी के चलते एक भी स्लूज पर इमरजेंसी गेट पूरा नहीं बैठ पाया। अब इनकी खामी जानने के लिए सिंचाई विभाग ने गेटों के पीछे पानी के अंदर वीडियोग्राफी कराने का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजकर बजट मांगा है।
सिंचाई के अधिशासी अभियंता पूरणचंद मेघवाल ने बताया मुम्बई व भोपाल के 4 संवेदकों से राणा प्रताप सागर बांध के चार स्लूज गेटों के पीछे बांध के जलाशय के पानी में वीडियोग्राफी कराने के लिए कोटेशन मांगे थे। प्रति दिन 8 घंटे के हिसाब से कुल 20 दिन तक 160 घंटे पानी के अंदर वीडियोग्राफ ी करने के लिए मुम्बई के एक संवेदक ने 14.59 लाख रुपए तो भोपाल के दूसरे संवेदक ने 17.5 लाख रुपए, भोपाल के तीसरे संवेदक ने सवा 19 लाख रुपए और मुम्बई के चौथे संवेदक ने पौने 19 लाख रुपए खर्च आना बताया है।
इसमें इमरजेंसी गेट के साथ वीडियोग्राफ ी करते हुए इंजीनियर पानी के अंदर उतरेंगे और स्लूज गेटों की खामी जानकर उनकी मरम्मत के लिए रिपोर्ट बनाकर देंगे। चारों के कोटेशन साथ लगाते हुए इस कार्य के प्रस्ताव बनाकर अधीक्षण अभियंता कोटा के मार्फत राज्य सरकार को बजट स्वीकृति के लिए एक सप्ताह पूर्व भिजवा दिए गए हैं। बजट मिलने पर वीडियोग्राफी का काम शुरू कराया जाएगा।
सिंचाई के अधिशासी अभियंता पूरणचंद मेघवाल ने बताया मुम्बई व भोपाल के 4 संवेदकों से राणा प्रताप सागर बांध के चार स्लूज गेटों के पीछे बांध के जलाशय के पानी में वीडियोग्राफी कराने के लिए कोटेशन मांगे थे। प्रति दिन 8 घंटे के हिसाब से कुल 20 दिन तक 160 घंटे पानी के अंदर वीडियोग्राफ ी करने के लिए मुम्बई के एक संवेदक ने 14.59 लाख रुपए तो भोपाल के दूसरे संवेदक ने 17.5 लाख रुपए, भोपाल के तीसरे संवेदक ने सवा 19 लाख रुपए और मुम्बई के चौथे संवेदक ने पौने 19 लाख रुपए खर्च आना बताया है।
इसमें इमरजेंसी गेट के साथ वीडियोग्राफ ी करते हुए इंजीनियर पानी के अंदर उतरेंगे और स्लूज गेटों की खामी जानकर उनकी मरम्मत के लिए रिपोर्ट बनाकर देंगे। चारों के कोटेशन साथ लगाते हुए इस कार्य के प्रस्ताव बनाकर अधीक्षण अभियंता कोटा के मार्फत राज्य सरकार को बजट स्वीकृति के लिए एक सप्ताह पूर्व भिजवा दिए गए हैं। बजट मिलने पर वीडियोग्राफी का काम शुरू कराया जाएगा।
स्लूज पर पूरा नहीं बैठा था इमरजेंसी गेट
गत वर्ष अगस्त में कनिष्ठ अभियंता दीपांशु चौधरी की देखरेख में विद्युत उत्पादन निगम ने इमरजेंसी गेट को स्लूज के चारों गेटों पर उतारने का प्रयास किया। 26 दिन तक इमरजेंसी गेट को स्लूज गेटों पर उतारने का काम चला। लेकिन 4 में से एक भी स्लूज गेट पर पूरा नहीं बैठ पाया। किसी स्लूज तक जाने वाली रेल पानी में डूबी रहने से जंग खाकर खराब हो गई है तो किसी जगह गेट जलाशय में जमे कीचड़, गाद पर डेढ़ फीट उपर ही अटक गया।
गत वर्ष अगस्त में कनिष्ठ अभियंता दीपांशु चौधरी की देखरेख में विद्युत उत्पादन निगम ने इमरजेंसी गेट को स्लूज के चारों गेटों पर उतारने का प्रयास किया। 26 दिन तक इमरजेंसी गेट को स्लूज गेटों पर उतारने का काम चला। लेकिन 4 में से एक भी स्लूज गेट पर पूरा नहीं बैठ पाया। किसी स्लूज तक जाने वाली रेल पानी में डूबी रहने से जंग खाकर खराब हो गई है तो किसी जगह गेट जलाशय में जमे कीचड़, गाद पर डेढ़ फीट उपर ही अटक गया।