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इस दौरान राजस्थानी गीतकार दुर्गादान सिंह गौड़ ने कहा कि सुरेन्द्र दुबे केवल हास्य कवि ही नहीं थे, अपितु वे समाजोपयोगी साहित्य की भी रचना करते थे। जगदीश सोलंकी ने उनके साथ की साहित्यिक यात्राएं की। उन्होंने दुबे को नेकदिल इंसान और स्नेहिल व्यक्तित्व बताया। गीतकार मुकुट मणिराज ने कहा कि सुरेन्द्र दुबे एक ओर मंच के बादशाह थे, वहीं दूसरी ओर एक चिंतनशील रचयिता भी थे। देश के बड़े मंच संचालकों में उनका नाम सर्वोपरि था। गोविंद हांकला ने कहा कि काव्य मंचों की एक बड़ी हस्ती चली गई। निशामुनि गौड़ ने कहा कि उन्होंने नवोदित प्रतिभाओं को आगे बढ़़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस अवसर पर गोरस प्रचंड, प्रेम शास्त्री, मुरलीधर गौड़, डॉ. ओम नागर, राजेन्द्र पंवार, सत्येन्द्र वर्मा, किशन वर्मा, भूपेन्द्र राठौर, आनंद हजारी आदि मौजूद रहे। अंत में दो मिनट का मौन रख कर श्रद्धांजलि दी गई।
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एक नाम के चलते प्रशंसक असमंजस में
सोशल मीडिया में जयपुर के कवि सुरेन्द्र दुबे के निधन की खबर में छत्तीसगढ़ के जानेमाने हास्य कवि सुरेंद्र दुबे की फोटो देखकर प्रशंसक असमंजस में पड गए। जानने वालों ने छत्तीसगढ निवासी सुरेन्द्र दुबे को फोन लगा दिया तब हकीकत का पता चला। उन्होंने कवि सुरेंद्र दुबे को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि ये मेरे बहुत अच्छे मित्र थे। उनके साथ मैंने कई कवि सम्मेलनों में शिरकत की है. रायपुर और दुर्ग भी कई बार वे काव्य पाठ के लिए आ चुके हैं. उनके निधन से काव्य जगत को अपूरणीय क्षति पहुंची है।