कोटा

मां की आंखों से बहे आंसू, बोलीं- मेरे बेटे को चढ़ाया एचआईवी संक्रमित खून, जिंदगी बर्बाद कर दी मेरे लाल की

थैलेसीमिया पीडि़त किशोर के जांच में एचआईवी पॉजिटिव आने पर मां का कलेजा मुंह को आ गया। उन्होंने बेटे को एचआईवी संक्रमित खून चढ़ाने का आरोप लगाया।

कोटाJan 21, 2018 / 07:10 pm

​Zuber Khan

कोटा . थैलेसीमिया पीडि़त किशोर के जांच में एचआईवी पॉजिटिव आने पर मां का कलेजा मुंह को आ गया। जेकेलोन अस्पताल में मां की आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने कोटा के ब्ल्ड बैंकों पर आरोप लगाते हुए कहा, डॉक्टरों ने मेरे बेटे को एचआईवी संक्रमित खून चढ़ा दिया। वह पढ़ाई में होनहार है। 10वीं बोर्ड में 80 प्रतिशत अंक लाया है। उसका सपना डॉक्टर बनना है लेकिन लापरवाह डॉक्टरों ने ही उसकी उम्मीदों को कुचल दिया।
 

यह भी पढ़ें
OMG:

थैलेसीमिया पीडि़त किशोर एचआईवी पॉजिटिव, कोटा के ब्लड बैंक जांच के घेरे में



गौरतलब है कि जेके लोन अस्पताल में भर्ती थैलेसीमिया पीडि़त किशोर के जांच में एचआईवी पॉजिटिव आया। परिजनों का अरोप है कि ब्लड ट्रांसफ्यूजन में ही किशोर संक्रमित हुआ, लिहाजा सरकारी के साथ ही दो-तीन निजी ब्लड बैंक भी जांच के दायरे में आ गए हैं। अस्पताल अधीक्षक ने पूरे मसले पर जांच की बात कही है। वहीं मरीज को जेकेलोन से न्यू मेडिकल कॉलेज अस्पताल रैफर कर दिया है। छावनी एक मीनार मस्जिद निवासी 17 वर्षीय एक किशोर लम्बे समय से थैलेसीमिया से पीडि़त है।
 

Big News: कोटा यूआईटी ने सरकार को किया गुमराह, करोड़ों की जमीन पर बसा दी अवैध कॉलोनी

परिजन हर 15 दिन में जेके लोन अस्पताल लाकर रक्त चढ़वाते हैं। सोमवार को तबीयत ज्यादा खराब होने पर परिजनों ने उसे जेके लोन अस्पताल में भर्ती कराया। वहां तीन दिन एमबीएस ब्लड बैंक से रक्त लाकर चढ़वाया। तबीयत में सुधार न आने पर लक्षणों के आधार पर डॉक्टर्स ने उसकी एचआईवी की जांच करवाई। शनिवार जब जांच रिपोर्ट आई तो उसे एचआईवी पॉजिटिव पाया गया। मामले में सरकारी के साथ ही निजी ब्लड बैंक भी जांच घेरे में आ गए हैं। पीडि़त की मां ने बताया कि हर 15 दिन में निजी ब्लड बैंक से रक्त लाकर रक्त चढ़ाते थे।
 

कोटा में यह पहला मामला
जेके लोन अस्पताल अधीक्षक डॉ. एलएच मीणा ने बताया कि थैलेसीमिया पीडि़त के एचआईजी पॉजिटिव होने का कोटा में यह पहला मामला है। ब्लड बैंक में एलाइजा प्रणाली से जांच की जाती है। इसमें 18 से 21 दिन के भीतर रिपोर्ट सत्यापित होती है। ऐसे में परिजनों के आरोप निराधार हैं। संक्रमण कैसे हुआ, इसकी जांच कराई जाएगी।

यह भी पढ़ें
Video:

खुलासा: भरतपुर और करोली को आतंककारी हमले से दहलाने की धमकी के पीछे पुलिस से थी नाराजगी…आखिर क्या किया था पुलिस ने




ब्लड बैंक बिना एलाइजा जांच के रक्त नहीं देता
कृष्णा रोटरी ब्लड बैंक निदेशक डॉ. वेदप्रकाश गुप्ता ने बताया कि कोई भी ब्लड बैंक बिना एलाइजा जांच के रक्त नहीं देता। हम भी जांच कर ही देते हैं। ब्लड का विंडो पीरियड होता है। इसमें बीमारी पकड़ में नहीं आती। जरूरी नहीं कि मरीज को हमारे ब्लड बैंक के रक्त से एचआईवी हुआ हो, पहले अन्य जगहों पर दिखाने से यह हो सकता है।

 

यह भी पढ़ें
Politics:

ईओ के ट्रांसफर पर भड़के पालिकाध्यक्ष, बोले-गंदी राजनीति करने वाला नेता भुगतेगा परिणाम




ब्लड ट्रांसफ्यूजन से हो सकता है
सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश जैन ने कहा कि ब्लड बैंक में जो एचआईवी की जांच सुविधा उपलब्ध है, वह पर्याप्त नहीं। एचआईवी वायरस का पता नहीं चल पाता है, जो जांच सुविधा उपलब्ध है, उसमें एंटी बॉडी का पता चलता है। वायरस डिक्टेटिव होने में तीन से छह माह लग जाते हैं। किशोर को एचआईवी ब्लड ट्रांसफ्यूजन से भी हो सकता है।
 

संबंधित विषय:

Hindi News / Kota / मां की आंखों से बहे आंसू, बोलीं- मेरे बेटे को चढ़ाया एचआईवी संक्रमित खून, जिंदगी बर्बाद कर दी मेरे लाल की

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.