उन्होंने बताया कि पानी में विशेष तरह का केमिकल मिलाकर परमाणु संयंत्र व इससे जुड़े प्रोजेक्ट को नुकसान पहुंचाने की संभावना जताई जाती है लेकिन जिन दो-तीन देशों में ये केमिकल उपलब्ध था, उन देशों ने इस पर रोक लगा दी है। रावतभाटा में परमाणु इकाइयों व एनएफसी संयंत्र की तकनीक भिन्न है। मल्टीलेयर तकनीक पर आधारित सुरक्षा है। इससे यहां न्यूक्लियर टेररिज्म की कोई संभावना नहीं। हम सतर्क हैं, लेकिन भयभीत नहीं।
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रोहिणी में मिले न्यूक्लियर ईंधन पर काम बसु ने बताया कि अलवर के निकट रोहिणी में हाल ही न्यूक्लियर ईंधन (यूरेनियम) का पता चला है। सब कुछ ठीक रहा तो देश को बाहर से महंगा न्यूक्लियर ईंधन आयात नहीं करना पड़ेगा। इसके लिए पानी की व्यवस्था व आवश्यक एमओयू की कार्रवाई भी प्रकिया में है। यह भी पढ़ें
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उन्होंने बताया कि देश में आगामी दस वर्षों में एक लाख करोड़ रुपए की लागत से 10 परमाणु रिएक्टर्स का निर्माण किया जाएगा। इसके प्रथम चरण में रावतभाटा में 7-7 सौ मेगावाट की दो इकाइयों का निर्माण चल रहा है। गोरखपुर में दो परमाणु इकाइयों के निर्माण की राह साफ हो गई है।बांसवाड़ा में तलाश रहे संभावनाएं।
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