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जिले में 4 से 18 दिसम्बर 2017 तक 2 लाख 66 हजार 307 लोगों का सर्वे किया गया था। करीब 400 कर्मचारी लगाकर 200 टीमें बनाई गई। इसमें आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, एएनएम, आशा सहयोगिनी, सुपरवाइजर सहित कई लोगों ने घर-घर जाकर सर्वे किया। सर्वे के दौरान जिनका वजन कम था उनकी टीबी की जांच कराई। इसमें 35 नए रोगी सामने आए।
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क्षय रोगियों की जांच के लिए केद्र सरकार की ओर से आई 60 लाख रुपए की लागत वाली सिविनाई मशीन सप्ताह भर से एमबीएस में धूल खा रही है। यह नए अस्पताल में लगाई जानी है लेकिन प्राचार्य इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। एमबीएस प्रशासन मशीन आने से पहले ही मेडिकल कॉलेज प्राचार्य को इसके बारे में अवगत करा चुका है लेकिन वहां इसके लिए स्थान तक तय नहीं किया।
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मॉनिटरिंग कर रहे हैं
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. आरसी मीणा ने बताया कि टीबी रोगियों की हर तीन माह में मॉनिटरिंग की जा रही है। जो रोगी बीच में दवा लेना छोड़ देता है तो उसे घर जाकर समझाया जाता है। केन्द्र सरकार की ओर से टीबी की जांच के लिए आई मशीन न्यू मेडिकल अस्पताल में स्थापित होनी है। जो नहीं हो पा रही।
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हर माह आते हैं औसतन 200 रोगी
जुलाई से सितम्बर तक की त्रैमासिक रिपोर्ट के मुताबिक इस अवधि में जिले में 607 नए रोगी रूटीन में सामने आए। जबकि अक्टुबर से दिसम्बर तक की त्रैमासिक रिपोर्ट में नए रोगियों की संख्या 560 हैं। आंकड़ों के मुताबिक कोटा जिले के क्षय निवारण केन्द्रों पर करीब 200 नए रोगी हर माह नए आते हैं।