कालंदा के जंगल में मिला मुकुंदरा का राजा, बढ़ रहा घर की ओर, स्वागत को तैयार जंगल की प्रजा
भोजन-पानी पर्याप्त, ठहर सकता है बाघ
कालदां वन क्षेत्र में वन्यजीवों एवं पानी की पर्याप्त उपलब्धता है। नारायणपुर बांध, बसोली बांध, कालदां, आमारोह, पारा का जंगल व गुढ़ा बांध में गर्मी के मौसम में भी पर्याप्त पानी रहता है। ऐसे में यहां पर हरिण, सांभर, नीलगाय, ***** व चिंकारा बहुतायत हैं। पानी और शिकार की पर्याप्त उपलब्धता के चलते बाघ के यहां फिलहाल ठहरे रहने की प्रबल संभावनाएं हैं।
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संभावना ये भी: बस्सी भी जा सकता है
वन्यजीव प्रेमी तपेश्वर सिंह भाटी कहते हैं कि ‘टी 91 फिलहाल कालदां के जंगलों में है, ऐसे में यहां से मुकुंदरा पहुंचने के लिए उसे माइनिंग क्षेत्र पार करना होगा। यदि बाघ माइनिंग क्षेत्र में मानवीय गतिविधियों से प्रभावित होता है तो वह वहां से निकलकर चित्तौडगढ़़ के बस्सी अभयारण्य में भी प्रवेश कर सकता है।
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ब्रोकन टेल के नक्शे कदम पर !
सूत्रों के मुताबिक बाघ ‘टी 91Ó तेरह साल पहले निकले ब्रोकन टेल के नक्शे कदम पर चल रहा है। वर्ष 2004 में रणथम्भौर से रामगढ़ होते हुए मुकुंंदरा हिल्स तक पहुंचा ब्रोकन टेल भी कालदंा वन क्षेत्र से होकर निकला था। इसके साक्ष्य मिलते हैं। ब्रोकन टेल रणथम्भौर से रामगढ़ विषधारी अभयारण्य होते हुए भीमलत, बिजौलिया से जवाहर सागर अभयारण्य पहुंचा था। उसकी उपस्थिति शैलझर के गढ़झरी के पास मिली थी। माना जाता है कि ब्रोकन टेल रामगढ़ से कालदां होते हुए नमाना की पहाड़ी से माइनिंग क्षेत्र को पार कर दामोदरपुरा, लक्ष्मीपुरा होते हुए मुकुंदरा पहुंचा था। ‘टी-91Ó भी ब्रोकन टेल की राह चल कर मुकुंदरा में आ सकता है।