लंबे समय से उठ रही मांग कोटा में करीब 6 साल से ऑर्गन रिट्राइवल सेंटर खोलने की मांग उठ रही थी। मेडिकल कॉलेज में ब्रेन डेड कमेटी भी बनी हुई थी। कॉलेज प्रशासन की अनदेखी के चलते 5 साल तक फ ाइल बंद पड़ी थी। पिछले साल ब्रेन डेड मरीज के अंगदान की कोशिश कागजी कार्रवाई में फं सने के बाद इसकी जरूरत ज्यादा महसूस होने लगी। कोटा में रिट्राइवल सेंटर खोलने के लिए राजस्थान पत्रिका ने मुहिम चलाई थी। मुहिम के समर्थन में लोगों ने मौन जुलूस निकाला था। उसके बाद फाइल से धूल हटाने के लिए लगातार प्रयास किए। उसके बाद अब जाकर मुहिम रंग लाई।
जयपुर से आई थी टीम कुछ महीने पहले ही जयपुर से आई टीम ने नए अस्पताल का निरीक्षण कर व्यवस्थाओं व सुविधाओं का जायजा लिया। टीम की रिपोर्ट के बाद राज्य सरकार ने आंख व कॉर्निया पुनप्र्राप्ति के अलावा अंग ऊतक प्रदर्शन के लिए कोटा मेडिकल कॉलेज को पंजीकरण का प्रमाण पत्र प्रदान किया है। पंजीकरण का यह प्रमाण पत्र जारी करने की तारीख से पांच साल की अवधि के लिए वैध है। कोटा में ब्रेन डेड कमेटी किसी भी केस को फ ाइनल करने के बाद अस्पताल में अंग को निकाल सकेंगे।
पहले फेल हो चुके अंगदान के सपने
कोटा में 2013 में रावतभाटा निवासी अनिरुद्ध व 2017 में अंता के सिद्धार्थ के अंगदान का भी फैसला लिया गया था, लेकिन कोटा के दोनों के अंगदान की सुविधा नहीं होने के कारण उनके परिजनों की इच्छा पूरी नहीं हो सकी। उसके बाद साल 2019 में दादाबाड़ी निवासी विशाल कपूर के ब्रेन डेड के बाद परिजनों ने अंगदान की इच्छा जताई, लेकिन वह भी पूरी नही हो सकी थी।
कोटा मेडिकल कॉलेज को रिट्राइवल सेंटर खोलने की अनुमति मिल चुकी है। इससे कोटा में अंग लिए जा सकेंगे। नए अस्पताल में पूरी व्यवस्था है। किडनी ट्रांसप्लांट विंग का काम भी चल रहा है। इससे अंगदान की कोशिशों को बढ़ावा मिल सकेगा। कोटा में सर्जन के साथ-साथ परम विशेषज्ञ चिकिसक भी हैं।
डॉ. विजय सरदाना, प्राचार्य, मेडिकल कॉलेज कोटा