कोटा

राजस्थान सरकार को झटका, 13 जिलों की नहर परियोजना को नहीं मिल रहा राष्ट्रीय दर्जा

पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को राष्ट्रीय महत्व की योजना घोषित करने के मामले में राज्य सरकार ने निर्धारित प्रपत्र में केन्द्र सरकार को नहीं भेजा प्रस्ताव, इसलिए राष्ट्रीय महत्व का दर्जा मिलने की आस टूटी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इसे राष्ट्रीय महत्व की योजना घोषित करने की मांग कर रहे हैं।

कोटाMar 25, 2022 / 10:20 am

Jaggo Singh Dhaker

जग्गोसिंह धाकड़
कोटा. राजस्थान के 13 जिलों को लाभांवित करने वाली पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को राष्ट्रीय महत्व की योजना घोषित करने के मामले में राजस्थान सरकार को झटका लगा है। लोकसभा में रखे गए जवाब के अनुसार पूर्वी राजस्थान की महत्वाकांक्षी इस योजना को राष्ट्रीय दर्जा मिलने की आस टूटती दिखाई दे रही है। पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को लेकर केन्द्र सरकार के जल संसाधन और नदी विकास विभाग ने गुरुवार को लोकसभा में स्पष्ट किया कि अभी तक राजस्थान सरकार ने ईआरसीपी को निर्धारित प्रपत्र के अनुसार राष्ट्रीय परियोजना में शामिल करने का प्रस्ताव नहीं भेजा है। यह जानकारी जल शक्ति राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने लोकसभा सदस्य हनुमान बेनीवाल के सवाल के लिखित जवाब में दी है। उन्होंने बताया कि किसी परियोजना को शामिल करने से पहले केन्द्रीय जल आयोग आकलन करता है। इसके बाद बहुउद्देश्यीय परियोजनाओं की सलाहकार समिति की ओर से इसका अनुमोदन किया जाता है। उसके बाद राज्य सरकार से निवेश की स्वीकृति प्राप्त करनी होती है। इसके बाद यदि परियोजना मापदंडों को पूरा करती है तो इसकी प्रक्रिया आगे बढ़ती है। ईआरसीपी अंतरराज्यीय मामला होने के कारण इसका आकलन नहीं हो पाया है। इस समय यह राष्ट्रीय परियोजना स्कीम के अंतर्गत शामिल किए जाने के मापदंडों को पूरा नहीं करती है। इस तरह योजना के राष्ट्रीय महत्व की परियोजना घोषित होने की उम्मीद टूटती दिख रही है।
सीएम गहलोत कर चुके हैं मांग
उल्लेखनीय है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कई बार इस महत्वाकांक्षी पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को राष्ट्रीय महत्व की परियोजना घोषित करने की मांग कर चुके हैं। यह योजना महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि इससे राज्य के 13 जिलों को पेयजल और सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराना प्रस्तावित है। मुख्यमंत्री गहलोत ने गत 23 फरवरी 2022 को राज्य का कृषि बजट पेश करते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री ने जयपुर और अजमेर में 7 जुलाई 2018 और 6 अक्टूबर 2018 को आयोजित रैलियों में ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने का वादा किया था, लेकिन उसे अभी तक निभाया नहीं है। इस बारे में मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री और जल शक्ति मंत्री को पत्र से भी आग्रह कर चुके हैं। कोटा जिले में इस योजना के तहत बन रहे नौनेरा बांध से 1661 करोड़ की पेयजल परियोजना के लिए बजट स्वीकृत किया है।
इन जिलों को मिलना है लाभ
इस योजना के पूरा होने पर झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, जयपुर, अजमेर और टोंक जिलों को लाभ मिलेगा।

फैक्ट फाइल
37 हजार 247 करोड़ योजना की लागत आंकी गई
2051 तक पर्याप्त पेयजल और सिंचाई की उपलब्धता कराना योजना का लक्ष्य
इन नदियों के पानी का होगा उपयोग
राजस्थान में चंबल और इसकी सहायक नदियों जैसे कि कुन्नू, कुल, पार्वती, कालीसिंध और मेज सहित अन्य नदियों में सब बेसन के अधिशेष पानी को बनास, मोरेल, बाणगंगा और गंभीर नदी के सब बेसन में पहुंचाया जाएगा।
राजस्थान सरकार को झटका, 13 जिलों की नहर परियोजना को नहीं मिल रहा राष्ट्रीय दर्जा
योजना से 13 जिलों को पेयजल और सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराना प्रस्तावित

राज्य सरकार ने निर्धारित प्रपत्र में केन्द्र सरकार को नहीं भेजा प्रस्ताव, इसलिए राष्ट्रीय महत्व का दर्जा मिलने की आस टूटी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इसे राष्ट्रीय महत्व की योजना घोषित करने की मांग कर रहे हैं।

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