सर, क्या मैं ऐसे ही मर जाऊंगी। मुझे जीना है। मेरा स्वास्थ्य ठीक हो जाएगा तो बड़ी होकर कुछ कर दिखना चाहती हूं। लेकिन अभी बीमारी की वजह से लाचार हूं। ऐसी पीड़ा है पांच साल से बीमार चल रही मेधावी छात्रा दीपा मीणा की। जो इस साल कक्षा 6वीं में पढ़ रही है। लेकिन बीमारी ने ऐसा जकड रखा है कि वह न तो ठीक तरीके से भोजन कर पाती है और न ही पढ़ाई। बीमारी के चलते दीपा का शारीरिक विकास भी नहीं हो पा रहा।
दीपा के पिता रेसपाल मीणा करीब सात साल पहले सांगोद क्षेत्र के हिंगी गांव को छोड़ पेट पालने के लिए परिवार सहित कोटा आ बसे। दोनो पति-पत्नी ने मेहनत मजदूरी कर तीन बच्चों की परवरिश करना शुरू किया। कुछ रुपए बचाकर कंसुआ अफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम में मकान खरीदा।
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5 साल तक डॉक्टरों के पकड़ में नहीं आई बीमारी करीब 6 साल पहले जब तीसरे नम्बर की बेटी दीपा कक्षा दो में पढ़ती थी। अचानक ऐसी बीमारी हुई कि जो खाती थी, वह उल्टी कर निकाल देती थी। मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पीड्रियाट्रिक एचओडी डॉ. अमृतलाल बैरवा, शिशु रोग विशेषज्ञ अशोक शारदा, विवेक गुप्ता, अनिल शर्मा, कमल वाष्र्णेय आदि डॉक्टरों को दिखाया। जांच, इलाज में बचाकर रखे हजारों रुपए खर्च कर दिए। लेकिन डॉक्टर्स के भी बीमारी पकड़ में नहीं आई। अब निजी अस्पताल के डॉक्टर अशोक गोयल ने बताया कि दीपा की भोजन नली में इंफेक्शन है। ऐसे में जो भी खाती है, पीती है। उल्टी कर वापस निकाल देती है। Read More: कोटा के 3 बडे़ अस्पतालों ने उठाया भामाशाह योजना का गलत फायदा, NIACL ने किया Black Listed ऑपरेशन के लिए सवा लाख के सहयोग की दरकार
दीपा के पिता रेसपाल ने बताया कि वह निजी सिक्यूरिटी कम्पनी में 6 हजार रुपए महीने में गार्ड की नौकरी करता है। परिवार के खर्च में महीना पूरा होते-होते पूरी पगार खतम हो जाती है। कभी-कभी बेटी का स्वास्थ्य ठीक रहता है तो 1500-2000 रुपए जरूर बच जाते थे। अब डॉक्टर ने अशोक गोयल ने बेटी दीपा की श्वांस नली के ऑपरेशन के लिए 1.90 लाख रुपए का स्टीमेट बनाकर दिया है।
करीब इसमें डॉक्टर ने भी ऑपरेशन खर्च में कुछ छूट का आश्वासन दिया है। वहीं कुछ रुपए उनके पास बचे है। इसके बावजूद भी उन्हें बेटी के ऑपरेशन के लिए 1.25 लाख रुपए के सहयोग की दरकार है। उन्होंने शहर वासियों से अपील की है कि उनका सहयोग मिल जाए तो बेटी दीपा की जान बच सकती है।