कोटा

कोटा के शाही दशहरे मेले की 10 कहानियांः लाखों आंखों में सजता है करोड़ों का मेला

देश में आधुनिक कोटा की पहचान यदि कोचिंग संस्थान हैं तो दशकों पुराना दशहरा मेला यहां की सांस्कृतिक, व्यावसायिक समृद्धि की कहानी कहता है।

कोटाSep 30, 2017 / 05:40 pm

​Vineet singh

कोटा के शाही दशहरे मेले की 10 कहानियांः लाखों आंखों में सजता है करोड़ों का मेला

कोटा का शाही दशहरा मेला सवा सौ साल पूरे होने की कगार पर खड़ा है। 124वां राष्ट्रीय दशहरा मेला-2017 अपने शबाब पर चढ़ने लगा है। कोटा ही नहीं हाड़ौती की शान बन चुके मेले में लोगों की सहभागिता ऐसी है कि रावण दहन के लिए बाजार तक बंद रहते हैंं। मेले में देशभर के दुकानदार आते हैं। इससे मेले में देशभर की कला-संस्कृति की झलक देखने को मिलती है।
यह भी पढ़ें

कोटा के शाही दशहरे मेले की दस कहानियांः 124 साल से कायम है परंपराओं का आकर्षण


27 दिन का मेला, 10 लाख लोगों का रेला

एक अनुमान के मुताबिक 27 दिन चलने वाले इस मेले में 10 लाख से अधिक लोग आते हैं। ऐसे में इसका आर्थिक महत्व भी बहुत ज्यादा है। लोगों को सालभर इसका इंतजार रहता है। बड़े व्यापारियों से लेकर फुटकर दुकानदार तक सालभर मेले में आने की तैयारी करते हैं। आर्थिक जानकारों का दावा है कि यह सालाना आयोजन करीब 100 करोड़ का होता है। राम कथा से शुरू होने वाला मेला रावण दहन के साथ परवान चढ़ता है। नगर निगम की ओर से मेले में 755 दुकानों का आवंटन होता है।
यह भी पढ़ें

कोटा के शाही दशहरे मेले की 10 कहानियांः छोटो छै…यो कोटो छै…दशहरे को शाही मेलो छै


खाने-पीने पर ही खर्च हो जाते हैं 30 करोड़

मेले से आने वाले व्यापारियों का कहना है कि यहां लोग सबसे ज्यादा खर्च खाने-पीने पर करते हैं। शाम सात से रात 12 बजे तक फूड जोन में पैर रखने की जगह नहीं बचती है। मेले में खान-पान पर ही 30 करोड़ से अधिक का खर्च होता है। कुछ आइटम्स तो एेसे होते हैं जो मेले में ही मिलते हैं। कचौरी भले दुनिया में कोटा की पहचान हो लेकिन नसीराबाद का कचौरा, आगरा का पेठा, मथुरा की बेड़ई और कोटा के गोभी पकौड़े, सॉफ्टी 27 दिन यहां की फेवरेट डिश होती है।
यह भी पढ़ें

कोटा के शाही दशहरा मेले की 10 कहानियांः 9 दिन चलता था असत्य पर सत्य की जीत का शाही जश्न


करीब 5 करोड़ आता है आयोजन पर खर्च

मेले व कार्यक्रमों के आयोजन पर इस बार करीब 5 करोड़ रुपए का खर्च होंगे। इस मेले से कोटा नगर निगम को करीब एक करोड़ का राजस्व मिलता है। मेले में 10 लाख से अधिक लोगों की भागीदारी से कॉपोरेट जगत भी वाकिफ है। इसलिए कई बड़ी कंपनियां यहां अपने उत्पादों का प्रचार करती हैं। सरकारी विभाग भी अपनी योजनाओं की जानकारी देने का यहां प्रदर्शनियां लगाते हैं।
यह भी पढ़ें

कोटा के शाही दशहरे मेले की 10 कहानियांः परंपराओं छूटी तो खत्म हुआ अनूठापन


रावण दहन में उमड़ते हैं डेढ़ लाख से ज्यादा

मेले में सबसे अधिक भीड़ रावण दहन के दिन होती है। एक अनुमान के मुताबिक इस दिन डेढ़ लाख से ज्यादा लोग आते हैं। इसके बाद सबसे ज्यादा भीड़ समापन पर आतिशबाजी के दिन होती है। इस दिन आंकड़ा एक से सवा लाख के बीच होता है। सिने संध्या, अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, मुशायरा व अन्य कार्यक्रमों में 70 से 75 हजार लोगों की भागीदारी होती है।

संबंधित विषय:

Hindi News / Kota / कोटा के शाही दशहरे मेले की 10 कहानियांः लाखों आंखों में सजता है करोड़ों का मेला

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.