कोटा

बुरी खबर: नहीं थम रहा बीमारियों का कहर, अब रोटा वायरस ने दी शहर में दस्तक

शहर में मौसम का विपरीत असर हो रहा है, बच्चों में खांसी-जुकाम, उल्टी दस्त के मामले बढ़ रहे हैं, डेंगू के बाद अब रोटा वायरस ने दस्तक दी!

कोटाNov 20, 2017 / 01:05 pm

ritu shrivastav

अस्पताल में मरीज

शहर में पिछले कुछ दिनों से अचानक मौसम में आए बदलाव से बच्चों में खांसी-जुकाम, बुखार और उल्टी-दस्त की शिकायतें सामने आने लगी है। मौसमी बीमारियों से ग्रसित बच्चों की संख्या में अस्पतालों में बढ़ रही है। चिकित्सक इसे रोटा वायरस का असर बता रहे हैं। डेंगू के बाद अब रोटा वायरस सक्रिय है। इससे अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढऩे लगी है।
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30 बच्चे रोटा वायरस के भर्ती हुए

जेके लोन अस्पताल की बात करें तो इस बीमारी से ग्रसित बच्चों से पूरा वार्ड भरा पड़ा है। यहां शहर के अलावा ग्रामीण इलाकों से भी परिजन बच्चों को लेकर पहुंच रहे हैं। चिकित्सकों के अनुसार इन दिनों रोटा वायरस से खांसी-जुकाम, डायरिया, बुखार से पीडि़त बच्चे ज्यादा आ रहे है। पिछले तीन दिनों के आंकड़े देखे तो 30 बच्चे रोटा वायरस के भर्ती हुए है। अमूमन प्रतिदिन 10 से 15 बच्चे रोजाना अस्पताल पहुंच रहे हैं।
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जेके लोन में आए मरीज

मरीजों में खांसी-जुकाम, उल्टी दस्त व इंफेक्शन के मरीज शामिल है। देशभर में 13 फीसदी बच्चों की मौत डायरिया से होती है। 40 फीसदी को दस्त के बाद भर्ती कराना पड़ता है। हर साल दस्त से करीब 78 हजार बच्चे मौत के शिकार हो जाते हैं। अब चिकित्सा विभाग की ओर से मार्च 2016 से सभी सरकारी अस्पतालों में इसे पोलियों की दवा के साथ नि:शुल्क वैक्सीन लगाया जाता है। सावधानी: बच्चों को सर्दी में गर्म कपड़े पहनाएं। पानी उबालकर पिलाएं। सादा व ताजा खाना ही खाएं। खाने में तेल व मसाले का प्रयोग कम करें। बच्चों को अधिक पानी पिलाएं।
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डेंगू के 19 मामले सामने आए

शहर में डेंगू थम नहीं रहा है। सर्दी में भी डेंगू के मरीज सामने आ रहे है। रविवार को कोटा संभाग में डेंगू के 19 नए मामले सामने आ रहे है। चिकित्सा विभाग के अनुसार इनमें कोटा के 12 , बारां 6, बूंदी का 1 रोगी शामिल हैं। जेके लोन अस्पताल के सहायक आचार्य डॉ. पंकज सिंघल ने कहा कि अस्पताल की रोजाना ओपीडी फि लहाल 100 से 150 मरीजों की है। मौसम बदलने के साथ ही बच्चों में खांसी-जुकाम और रोटा वायरस की शिकायत होने लगती है। मौसम बदलने का सबसे ज्यादा प्रभाव छह माह से पांच साल तक के बच्चों पर पड़ता है। रोटा वायरस से बचने के लिए बच्चों को वैक्सिन भी लगाया जाता है।

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