कोटा. राजस्थान में हाड़ौती अंचल नदियों का स्थल माना जाता है। प्रदेश की एकमात्र सदानीरा नदी चम्बल भी हाड़ौती में पूरे प्रवाह से बहती है। इसकी कई सहायक नदियां हैं, जो बारिश में उफान पर आ जाती है। इस बार भी सावन के पहले सोमवार को बादल जमकर बरसे। कोटा में दोपहर बाद कुछ देर के लिए तेज बारिश हुई। उसके बाद बादल छाए रहे और उमस का जोर बढ़ गया। जिले के चेचट क्षेत्र में दिनभर रुक रुककर बारिश की झड़ी लगी रही। गांधीसागर के कैचमेंट क्षेत्र में हुई भारी बारिश से ताकली नदी में पानी की आवक हुई। जिससे नदी में उफ ान आ गया। खेड़ली की रपट पर तीन-चार फ ीट पानी बहने के कारण खेड़ली-अमझार मार्ग अलसुबह पांच बजे से बंद हो गया। चम्बल पर बने सबसे बड़े बांध गांधीसागर में 24 घंटे में 4 फीट पानी की आवक दर्ज की गई। यहां डेढ़ इंच बारिश हुई। राणाप्रताप सागर में एक फीट पानी की आवक हुई। जवाहरसागर बांध में 16 मिमी और कोटा बैराज पर 3 मिमी बारिश दर्ज की गई। वहीं झालावाड़ जिले में लगातार दूसरे दिन सोमवार को दिनभर बारिश का दौर जारी रहा। झालावाड़ जिले तथा मध्यप्रदेश में जोरदार बारिश होने से क्षेत्र में बहने वाली प्रमुख नदियां उफ ान पर चल रही हैं। पिड़ावा क्षेत्र में गागरीन बांध क्षेत्र में 24 घंटे में 10 इंच बारिश दर्ज की गई है। गगरीन बांध पर चादर चल रही है। जिले में चंवली, आहू, कालीसिंध आदि नदियां उफ ान पर रही। मध्यप्रदेश में हो रही बरसात से राजस्थान-मध्यप्रदेश की सीमा पर बहने वाली चम्बल व शिप्रा नदी उफ ान पर चल रही है। कालीसिंध बांध के तीन गेट खोलकर 35 हजार क्यूसेक पानी की निकासी की गई। झालावाड़ शहर के पास स्थित गागरोन की पुलिया पर करीब 23 फ ीट पानी बह रहा है। इस कारण गागरोन दरगाह पर जियारत करने गए 98 जायरीन दूसरे दिन भी फं से रहे। नदी में बहाव तेज होने के कारण प्रशासन ने दरगाह में ही सुरक्षित रहने को कहा है। जायरीनों की ठहरने और भोजन की व्यवस्था की गई है।
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