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हिन्दी पढ़े और हिन्दी ही पढ़ाएं

हिन्दी भारत ही नहीं वरन विश्व के अनेक देशों में पढ़ी और पढ़ाई जा रही है। हिन्दी के प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है।

कोटाJan 11, 2018 / 01:35 am

Anil Sharma

रावतभाटा. भारत ही नहीं देश-विदेश में हिंदी लगातार प्रगति कर रही हंै। आरएपीपी में भी राजभाषा कार्यान्वयन में वृद्धि हुई है। आरएपीपी को इस वर्ष उत्कृष्ट राजभाषा कार्यान्वयन के लिए अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक शील्ड भी प्राप्त हुई है। यह बात आरएपीपी में बुधवार को विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर आयोजित राजभाषा वार्ता में मुख्यअतिथि स्थल निदेशक विजय कुमार जैन ने कही।
मानव संसाधन प्रमुख केजी चंद्रशेखरन नेे विश्व हिंदी दिवस पर अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक के संदेश का वाचन किया। जिसमें हिन्दी के अधिक से अधिक उपयोग व इसके प्रचार-प्रसार की बात कही गई।
कई देशों में जुबां पर चढऩे लगी हिन्दी
वार्ता के उद्घाटन सत्र में स्वागत भाषण एवं विश्व हिंदी दिवस की प्रस्तावना प्रबंधक (राजभाषा) महावीर शर्मा ने प्रस्तुत करते हुए कहा कि हिंदी न केवल भारत में वरन विश्व के अनेक देशों में पढ़ी और पढ़ाई जा रही है।
आज विश्व में तीन देशों के राष्ट्र अध्यक्ष भारतीय मूल से ही हैं। कार्यक्रम में सेवानिवृत व्याख्याता संयुक्त निदेशक (राजभाषा) बीएआरसी आरपी विश्वकर्मा ने राजभाषा हिंदी ऐतिहासिकता, वैज्ञानिकता एवं भाषायी दर्शन विषय पर प्रस्तुति दी।
वार्ता का संचालन जगन्नाथ गुप्ता हिंदी अधिकारी ने किया एवं श्रोताओं को राजभाषा वार्ता के माध्यम से अधिकाधिक लाभ प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया।
कार्यक्रम के संचालन में अर्चना श्रीवास्तव, हिंदी अनुवादक, बसंत कुमार सिंह, हिंदी अनुवादक एवं सुभाष नारवाल, हिंदी अनुवादक ने समन्वय किया। गोविंद सिंह राणा एवं सूरजमल पारेता ने भी भूमिका अदा की।
हिन्दी का प्रचार-प्रसार करना उद्देश्य
प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन 10 जनवरी 1975 को नागपुर में आयोजित किया गया था। जिसका उद्देश्य संपूर्ण विश्व में हिंदी का प्रचार-प्रसार करना था। इसी उपलक्ष्य में केन्द्र सरकार के कार्यालयों में विश्व हिन्दी दिवस का आयोजन किया जाता है।
विद्यालय में मनाया हिंदी दिवस
रावतभाटा. परमाणु ऊर्जा केन्द्रीय क्रमांक-२ में बुधवार को विश्व हिंदी दिवस मनाया गया। प्राचार्य आरके साहनी के नेतृत्व में प्रार्थना सभा में आयोजित कार्यक्रम में कक्षा ९ की छात्रा जाहन्वी ठाकुर ने कविता प्रस्तुत की। इसके बाद साहनी ने विद्यार्थियों हिंदी के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि विश्व के १३९ विश्वविद्यालयों में हिंदी का अध्ययन कराया जाता है। इसके बाद राजभाषा समिति की संयोजिका ने हिंदी का महत्व समझाया।

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