जिला मुख्यालय के समीपवर्ती और देश दुनिया में अणु नगरी के नाम से विख्यात रावतभाटा अब परमाणु क्षेत्र में भी नई इबारत लिखने जा रहा है। लगभग 80 फीसदी कार्य पूरा हो गया है और बाकी बचा कार्य भी जल्द होने वाला है। इस मिशन के तहत सब कुछ सही रहा तो रावतभाटा दुनिया के नक्शे पर अलग पहचान के साथ जाना जाएगा। जवाबदेह अफसरों को भरोसा है कि यह मिशन दो साल में धरातल पर परिणाम देने लगेगा।
यहां वर्तमान में न्यूक्लीयर फ्यूल कॉम्प्लेक्स का सिविल कार्य अंतिम चरणों में है। परमाणु बिजलीघर की छह इकाइयों को चलाने में काम आने वाले पीएचडब्ल्यूआर के फ्यूल बंडल दो साल बाद रावतभाटा में बनना शुरू हो जाएंगे। इसके बाद इन्हें हैदराबाद से मंगवाने की आवश्यकता नहीं रहेगी।
रावतभाटा परमाणुबिजली घर के अधिकारियों का कहना है कि कॉम्प्लेक्स का निर्माण परमाणु ऊर्जा विभाग के अधीन हो रहा है। यह कार्य वर्ष 2000 से चल रहा है। कॉम्प्लेक्स का 80 प्रतिशत सिविल कार्य पूरा हो गया है। बाकी बचा 20 प्रतिशत काम पूरा होने में करीब एक साल और लगेगा। इसके बाद उपकरणों को लगाने में एक साल लगेगा। इसके बाद रावतभाटा में ही पीएचडब्ल्यूआर के फ्यूल बंडल बनना शुरू हो जाएंगे। इस निर्माण कार्य में करीब 2 हजार करोड़ लगेंगे। वर्तमान में रावतभाटा की पहचान परमाणु बिजली घर से है लेकिन जैसे ही यह कॉम्प्लेक्स का निर्माण कार्य पूरा होगा। रावतभाटा को लोग पूरे एशिया में जानने लेंगे।
यहां वर्तमान में न्यूक्लीयर फ्यूल कॉम्प्लेक्स का सिविल कार्य अंतिम चरणों में है। परमाणु बिजलीघर की छह इकाइयों को चलाने में काम आने वाले पीएचडब्ल्यूआर के फ्यूल बंडल दो साल बाद रावतभाटा में बनना शुरू हो जाएंगे। इसके बाद इन्हें हैदराबाद से मंगवाने की आवश्यकता नहीं रहेगी।
रावतभाटा परमाणुबिजली घर के अधिकारियों का कहना है कि कॉम्प्लेक्स का निर्माण परमाणु ऊर्जा विभाग के अधीन हो रहा है। यह कार्य वर्ष 2000 से चल रहा है। कॉम्प्लेक्स का 80 प्रतिशत सिविल कार्य पूरा हो गया है। बाकी बचा 20 प्रतिशत काम पूरा होने में करीब एक साल और लगेगा। इसके बाद उपकरणों को लगाने में एक साल लगेगा। इसके बाद रावतभाटा में ही पीएचडब्ल्यूआर के फ्यूल बंडल बनना शुरू हो जाएंगे। इस निर्माण कार्य में करीब 2 हजार करोड़ लगेंगे। वर्तमान में रावतभाटा की पहचान परमाणु बिजली घर से है लेकिन जैसे ही यह कॉम्प्लेक्स का निर्माण कार्य पूरा होगा। रावतभाटा को लोग पूरे एशिया में जानने लेंगे।
16 किलो का होता है एक बंडल
अधिकारियों का कहना है कि वर्तमान में प्रतिदिन 8 बंडलों की बिजलीघर में खपत है। ये बंडल ट्रकों से हैदराबाद से मंगवाए जाते हैं। खर्च भी काफी लगता है। समय भी लगता है।
तीन हजार लोगों को मिलेगा रोजगार
यह कार्य पूरा होने के बाद प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूपसे करीब तीन हजार लोगों को और रोजगार मिलेगा। साथ ही प्लांट का विकास भी होगा। इससे सीएसआर के तहत और भी ज्यादा राशि खर्च की जा सकेगी।
अधिकारियों का कहना है कि वर्तमान में प्रतिदिन 8 बंडलों की बिजलीघर में खपत है। ये बंडल ट्रकों से हैदराबाद से मंगवाए जाते हैं। खर्च भी काफी लगता है। समय भी लगता है।
तीन हजार लोगों को मिलेगा रोजगार
यह कार्य पूरा होने के बाद प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूपसे करीब तीन हजार लोगों को और रोजगार मिलेगा। साथ ही प्लांट का विकास भी होगा। इससे सीएसआर के तहत और भी ज्यादा राशि खर्च की जा सकेगी।
बस दो साल और लगेंगे
रावतभाटा परमाणु बिजली घर के स्थल निदेशक विजय कुमार जैन ने स्वयं इसकी पत्रिकाडॉटकॉम से बातचीत में पुष्टि की। उन्होंने बताया कि न्यूक्लीयर फ्यूल कॉम्प्लेक्स का सिविल कार्य अंतिम चरणों में है। स्थानीय स्तर पर पीएचडब्ल्यूआर के फ्यूल बंडल बनने में दो साल और लगेंगे। साथ ही उन्होंने भरोसा जताया कि बिजलीघर में बन रही सातवीं इकाई 2020 व आठवीं इकाई 2021 में शुरू हो जाएगी। इसके बाद बिजली घर की क्षमता लगभग दो गुनी हो जाएगी।
रावतभाटा परमाणु बिजली घर के स्थल निदेशक विजय कुमार जैन ने स्वयं इसकी पत्रिकाडॉटकॉम से बातचीत में पुष्टि की। उन्होंने बताया कि न्यूक्लीयर फ्यूल कॉम्प्लेक्स का सिविल कार्य अंतिम चरणों में है। स्थानीय स्तर पर पीएचडब्ल्यूआर के फ्यूल बंडल बनने में दो साल और लगेंगे। साथ ही उन्होंने भरोसा जताया कि बिजलीघर में बन रही सातवीं इकाई 2020 व आठवीं इकाई 2021 में शुरू हो जाएगी। इसके बाद बिजली घर की क्षमता लगभग दो गुनी हो जाएगी।