396 कॉइल खोलकर लगाने का कार्य अंतिम चरण में
पन बिजलीघर की इकाई 3 में 396 कॉइल हैं। जिन्हें जनरेटर से अलग कर सुखाने के लिए कोटा भेजा गया। यह कार्य संविदा पर कोटा की एक फर्म को दिया गया। पूर्व में इस फर्म ने पन बिजलीघर की इकाई एक और चार के जीर्णोद्धार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इकाई 3 की मरम्मत का कार्य तेजी से चल रहा है। कॉइल सुखाने का कार्य पूरा हो चुका है और अब इसे जनरेटर में लगाने का कार्य किया जा रहा है। जो अंतिम चरण में है, और दिसंबर तक इकाई को कमिशनिंग करने का कार्य कर लिया जाएगा। जनरेटर की 396 कॉइल को हीटिंग देकर सुखाया गया है। इनकी क्रायोजेनिक क्लीनिंग की गई है। इसके बाद टेस्टिंग कर रिइंसुलेशन किया जाएगा। कॉइल में अगर कोई बैंड है तो उसे भी निकाला जा रहा है।
पन बिजलीघर की इकाई 3 में 396 कॉइल हैं। जिन्हें जनरेटर से अलग कर सुखाने के लिए कोटा भेजा गया। यह कार्य संविदा पर कोटा की एक फर्म को दिया गया। पूर्व में इस फर्म ने पन बिजलीघर की इकाई एक और चार के जीर्णोद्धार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इकाई 3 की मरम्मत का कार्य तेजी से चल रहा है। कॉइल सुखाने का कार्य पूरा हो चुका है और अब इसे जनरेटर में लगाने का कार्य किया जा रहा है। जो अंतिम चरण में है, और दिसंबर तक इकाई को कमिशनिंग करने का कार्य कर लिया जाएगा। जनरेटर की 396 कॉइल को हीटिंग देकर सुखाया गया है। इनकी क्रायोजेनिक क्लीनिंग की गई है। इसके बाद टेस्टिंग कर रिइंसुलेशन किया जाएगा। कॉइल में अगर कोई बैंड है तो उसे भी निकाला जा रहा है।
साझा परियोजना
राजस्थान और मध्य प्रदेश राज्य की साझा चंबल परियोजना के अंतर्गत वर्ष 1968 में चंबल नदी पर बने राज्य के राणा प्रताप सागर बांध पर स्थापित 172 मेगावाट क्षमता के पनबिजली घर में 43 मेगावाट क्षमता की चार यूनिट के पनबिजली घर का उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था। वर्ष 1968 में स्थापना के पश्चात इस बिजलीघर से सबसे सस्ती एवं हरित ऊर्जा का उत्पादन किया जा रहा है।
राजस्थान और मध्य प्रदेश राज्य की साझा चंबल परियोजना के अंतर्गत वर्ष 1968 में चंबल नदी पर बने राज्य के राणा प्रताप सागर बांध पर स्थापित 172 मेगावाट क्षमता के पनबिजली घर में 43 मेगावाट क्षमता की चार यूनिट के पनबिजली घर का उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था। वर्ष 1968 में स्थापना के पश्चात इस बिजलीघर से सबसे सस्ती एवं हरित ऊर्जा का उत्पादन किया जा रहा है।
चारों इकाइयां हो गई थी जलमग्न
राणा प्रताप सागर पन बिजलीघर कि चारों इकाइयां चंबल नदी में 14 सितंबर 2019 को भीषण जल विभीषिका में पूर्णरूप से जलमग्न हो गई थी। 52 वर्ष पुरानी इन इकाइयों से पुनः विद्युत उत्पादन हेतु पुनरुद्धार योजना प्रस्तावित की गई थी। जिसमें पांच 6 वर्षों तक इकाइयों के बंद रहने का अनुमान बताया गया था। राज्य विद्युत उत्पादन निगम के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक आरके शर्मा के निर्देशन में अभियंताओं ने अथक प्रयास कर इकाई 1 को 29 दिसंबर 2021 और इकाई 4 को अप्रैल 2022 में दोबारा शुरू कर विद्युत उत्पादन शुरू कर दिया जो लगातार जारी है।
राणा प्रताप सागर पन बिजलीघर कि चारों इकाइयां चंबल नदी में 14 सितंबर 2019 को भीषण जल विभीषिका में पूर्णरूप से जलमग्न हो गई थी। 52 वर्ष पुरानी इन इकाइयों से पुनः विद्युत उत्पादन हेतु पुनरुद्धार योजना प्रस्तावित की गई थी। जिसमें पांच 6 वर्षों तक इकाइयों के बंद रहने का अनुमान बताया गया था। राज्य विद्युत उत्पादन निगम के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक आरके शर्मा के निर्देशन में अभियंताओं ने अथक प्रयास कर इकाई 1 को 29 दिसंबर 2021 और इकाई 4 को अप्रैल 2022 में दोबारा शुरू कर विद्युत उत्पादन शुरू कर दिया जो लगातार जारी है।
गेट खोल कर छोड़ना पड़ रहा है पानी
राजस्थान और मध्य प्रदेश को कोटा बैराज की नहरों से पानी की आपूर्ति की जा रही है। राणा प्रताप सागर पन बिजलीघर और जवाहर सागर पन बिजलीघर से विद्युत उत्पादन करने के उपरांत भी कोटा बैराज और जवाहर सागर का जलस्तर कम होने पर राणा प्रताप सागर बांध के गेट खोलकर पानी की निकासी करनी पड़ रही है। चारों इकाइयां अपनी पूर्ण क्षमता से चलें तो गेट खोल कर पानी नहीं छोड़ना पड़ेगा और इसी पानी से विद्युत उत्पादन कर उत्पादन निगम को लाभ में लाया जा सकता है और प्रदेश में विद्युत आपूर्ति में भी इसका बड़ा सहयोग मिल सकता है।
राजस्थान और मध्य प्रदेश को कोटा बैराज की नहरों से पानी की आपूर्ति की जा रही है। राणा प्रताप सागर पन बिजलीघर और जवाहर सागर पन बिजलीघर से विद्युत उत्पादन करने के उपरांत भी कोटा बैराज और जवाहर सागर का जलस्तर कम होने पर राणा प्रताप सागर बांध के गेट खोलकर पानी की निकासी करनी पड़ रही है। चारों इकाइयां अपनी पूर्ण क्षमता से चलें तो गेट खोल कर पानी नहीं छोड़ना पड़ेगा और इसी पानी से विद्युत उत्पादन कर उत्पादन निगम को लाभ में लाया जा सकता है और प्रदेश में विद्युत आपूर्ति में भी इसका बड़ा सहयोग मिल सकता है।
अधिशासी अभियंता, रावतभाटा, आशीष कुमार जैन ने बताया कि पन बिजली घर की तीसरी इकाई का कार्य अंतिम चरण में है। इस पर 70 लाख रुपए की राशि खर्च की जा रही है। शीघ्र ही सिंक्रोनाइज कर जनवरी में विद्युत उत्पादन प्रारंभ किया जाएगा।