न्यास सूत्रों ने बताया कि घंटी के निर्माण का ठेका जिस फर्म को दिया। उस फर्म ने ठेके की शर्तों के अनुसार इसका निर्माण करने के स्थान पर इसे अन्य ठेकेदार को सस्ती दरों पर सबलेट (पेटी कांट्रेक्ट) पर दे दिया। इसके बाद इसे ठेकेदार और पेटी कांट्रेक्टर के बीच बार-बार विवाद होता रहा और काम अटकता रहा। बेल डिजाइनर देवेन्द्र आर्य ने इसे सिलिका की रेत में एक विशेष केमिकल से लॉक किया था। उनकी मौत के बाद इसे खोलने का फार्मूला नहीं मिल पाया है।
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कॉल डिटेल उगलेगी आर्य की मौत का राज
यूडीएच मंत्री ने बैठक में निर्देश दिए कि बेल डिजाइनर देवेन्द्र आर्य की जिस दिन घंटी का सांचा खोलते वक्त मौत हुई थी, उस दिन और उसके एक सप्ताह तक किस-किस अधिकारी ने कितनी बार फोन किया, इसकी कॉल डिटेल निकलवाएं। गौरतलब है कि आर्य के बेटे ने आरोप लगाया था कि जल्दी घंटी खोलने के लिए अधिकारियों का उसके पिता पर भारी दबाव था, इस कारण वे मानसिक रूप से तनाव में थे।
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विवादों में रही है घंटी
रिवर फ्रंट पर दुनिया की सबसे बड़ी घंटी का निर्माण शुरू से ही विवादों में रहा है। रिवर फ्रंट के चीफ आर्किटेक्ट अनूप भरतरिया और बेल डिजाइनर देवेन्द्र आर्य के बीच विवाद के चलते बीच-बीच में अटके घंटी निर्माण के काम और ढलाई के बाद इसे खोलने को लेकर विवाद गहराए। घंटी का सांचा खोलते समय दुर्घटना में देवेन्द्र आर्य की मौत के बाद भी विवाद हुआ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी कोटा दौरे के दौरान इस बारे में सवाल खड़े किए थे।