कोटा

पावर ऑफ कॉमन मैन… 2 रुपए की लड़ाई लड़ी, लौटाने पड़े 24300000 रुपए

Kota News: ये लड़ाई पूरे पांच साल तक लड़ी और खुद के साथ ही दस लाख लोगों को भी पैसा दिलाया है। इतना ही नहीं जो पैसा मिला उसमें से कुछ हिस्सा पीएम फंड में डोनेट कर दिया।

कोटाNov 10, 2024 / 11:46 am

JAYANT SHARMA

Indian Railway News: कॉमन मैन जब अपनी पर आता है तो फिर इतिहास ही बना डालता है। कॉमन मैन यानी सामान्य आदमी को लेकर कई डायलॉग और किस्से आपने सुने और पढ़े होंगे। लेकिन ये वाला लेटेस्ट है और कहीं ज्यादा भारी भी है। दो रुपए की लड़ाई में एक कॉमन मैन ने रेलवे जैसी बड़ी एजेंसी से दो करोड़ 43 लाख रुपए ढीले करवा दिए। कॉमन मैन का नाम है सुजीत स्वामी और वे पेशे से वकील है। ये लड़ाई पूरे पांच साल तक लड़ी और खुद के साथ ही दस लाख लोगों को भी पैसा दिलाया है। इतना ही नहीं जो पैसा मिला उसमें से कुछ हिस्सा पीएम फंड में डोनेट कर दिया।
यह मामला जुलाई 2017 में तब शुरू हुआ, जब सुजीत स्वामी ने कोटा से नई दिल्ली जाने के लिए गोल्डन टेम्पल ट्रेन में टिकट बुक किया था। लेकिन वेटिंग लिस्ट के कारण वे यात्रा नहीं कर पाए और 765 रुपए का टिकट कैंसिल करवा दिया। कैंसिलेशन के बाद उन्हें 665 रुपए का रिफंड मिला, लेकिन रेलवे ने उनसे 100 रुपए की कटौती की थी, जबकि नियमों के अनुसार केवल 65 रुपए की कटौती होनी चाहिए थी। इसके परिणामस्वरूप, उन्होंने अतिरिक्त 35 रुपए की वसूली को लेकर विरोध जताया और आरटीआई के माध्यम से जानकारी मांगी।
आरटीआई से यह खुलासा हुआ कि न सिर्फ सुजीत स्वामी, बल्कि लगभग 2.98 लाख यात्रियों से 35 रुपए की अतिरिक्त राशि वसूल की गई थी। इसके बाद सुजीत ने रेलवे अधिकारियों से संपर्क किया और सभी प्रभावित यात्रियों को यह पैसा लौटाने की मांग की। हालांकि, आईआरसीटीसी ने 33 रुपए का रिफंड उनके खाते में भेजा, लेकिन यह राशि पूरी तरह से सही नहीं थी, क्योंकि 35 रुपए का रिफंड बनता था।
सुजीत ने 2 रुपए के लिए फिर से संघर्ष शुरू किया। उन्होंने कई बार प्रधानमंत्री, रेलवे मंत्री और अन्य अधिकारियों से संपर्क किया और अंततः रेलवे बोर्ड ने उनके अनुरोध को मंजूरी दी। इसके बाद, सुजीत के खाते में 2 रुपए का रिफंड भेजा गया।
इस संघर्ष के दौरानए सुजीत स्वामी ने ना केवल अपने 2 रुपए का हक लिया, बल्कि अन्य यात्रियों के लिए भी न्याय सुनिश्चित किया। रेलवे ने यात्रियों को करीब 2 करोड़ 43 लाख रुपए लौटाए हैं। अपनी इस सफलता के बाद, उन्होंने प्रधानमंत्री केयर फंड में 535 रुपए दान किए, ताकि उनके संघर्ष का एक सकारात्मक परिणाम निकल सके।

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